बच्चों को लग गई है Online Gaming की आदत तो रखिये ध्यान, सरकार ने जारी की एडवाइजरी

Atul Saxena
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नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। कोरोना महामारी में शुरू हुई ऑन लाइन स्टडी की आड़ में बच्चे Online Gaming की तरफ आकर्षित हो गए और धीरे धीरे बहुत से बच्चों में इसकी लत लग गई। ऑनलाइन गेमिंग (Online Gaming) के बुरे प्रभाव की स्टडी के बाद सामने आया कि स्कूली बच्चे गेमिंग डिसऑर्डर (gaming disorder) का शिकार हो रहे हैं इसलिए बच्चों को ऑनलाइन गेमिंग (Online Gaming) की लत से बचाने के लिए शिक्षा मंत्रालय (Ministry of Education) एडवाइजरी (advisory) जारी की है।  

भारत के शिक्षा मंत्रालय ने सुरक्षित ऑनलाइन गेमिंग पर पेरेंट्स और टीचर्स के लिए आज 10 दिसंबर को एक एडवाइजरी जारी की है। इसमें कहा गया है कि कोरोना महामारी के कारण स्कूलों के बंद होने से बच्चों द्वारा मोबाइल और इंटरनेट के उपयोग में वृद्धि हुई है। जिसके चलते बच्चों में ऑनलाइन गेमिंग की लत लग गई है।जिसे गेमिंग डिसऑर्डर माना गया है।

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एडवाइजरी में कहा गया है कि खेल को इस तरह से डिज़ाइन किया गया है कि प्रत्येक स्तर पिछले  की तुलना में अधिक कठिन होता जाता है।  यह  खिलाड़ी को खेल में बने रहने के लिए खुद को सीमा तक धकेलने का कारण बनता है।गेमिंग कंपनियां भी भावनात्मक रूप से बच्चे को अधिक स्तर खरीदने के लिए मजबूर करती हैं और इन-ऐप खरीदारी को लगभग मजबूर करती हैं।

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एडवाइजरी में माता-पिता और शिक्षकों को सलाह दी गई है और उन्हें आवश्यक कार्रवाई के लिए शिक्षित किया गया है ताकि बच्चों को संबंधित मानसिक और शारीरिक तनाव के साथ सभी ऑनलाइन गेमिंग डाउनसाइड्स पर काबू पाने में प्रभावी उपयोग सुनिश्चित किया जा सके।

पैरेंट्स की अनुमति से ही करें गेम एप की खरीदारी 

शिक्षा मंत्रालय ने कहा है कि माता-पिता की सहमति के बिना बच्चों को इन गेम एप की खरीदारी की अनुमति न दें। एप खरीदारी से बचने के लिए आरबीआई के दिशानिर्देशों के अनुसार ओटीपी आधारित भुगतान विधियों को अपनाया जा सकता है। सदस्यता के लिए एप पर क्रेडिट, डेबिट कार्ड रजिस्ट्रेशन से बचें। ट्रांजेक्शन की ऊपरी सीमा निर्धारित करें। बच्चों को गेमिंग के लिए इस्तेमाल होने वाले लैपटॉप या मोबाइल से सीधे खरीदारी न करने दें। बच्चों को अज्ञात वेबसाइटों से सॉफ्टवेयर और गेम डाउनलोड न करने की सलाह दें।

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एडवाइजरी में कहा गया है कि बच्चों को वेबसाइटों में लिंक, छवियों और पॉप-अप पर क्लिक करने से सावधान रहने के लिए कहें क्योंकि उनमें वायरस हो सकता है और कंप्यूटर को नुकसान हो सकता है, और इसमें आयु-अनुचित सामग्री हो सकती है। उन्हें सलाह दें कि गेम डाउनलोड करते समय इंटरनेट पर व्यक्तिगत जानकारी न दें। उन्हें कभी भी गेम और गेमिंग प्रोफ़ाइल पर लोगों के साथ व्यक्तिगत जानकारी साझा नहीं करनी चाहिए। उन्हें वेब कैम, निजी संदेश या ऑनलाइन चैट के माध्यम से वयस्कों सहित अजनबियों के साथ संवाद न करने की सलाह दें, क्योंकि इससे ऑनलाइन दुर्व्यवहार करने वालों, या अन्य खिलाड़ियों से धमकाने से संपर्क का जोखिम बढ़ जाता है।  स्वास्थ्य पहलुओं और लत पर विचार किए बिना उन्हें लंबे समय तक खेल में शामिल न होने की सलाह दें।

ये सावधानियां अपनाने की दें सलाह

एडवाइजरी में कहा गया है कि ऑनलाइन गेम खेलते समय, अगर कुछ गलत हुआ है, तो तुरंत रुकें और एक स्क्रीनशॉट लें  और इसकी रिपोर्ट करें। अपने बच्चे को उनकी गोपनीयता की ऑनलाइन रक्षा करने में मदद करें, उन्हें एक स्क्रीन नाम का उपयोग करने के लिए कहें जो उनके वास्तविक नाम को प्रकट नहीं करता है। एंटीवायरस/स्पाइवेयर प्रोग्राम का उपयोग करें और फ़ायरवॉल का उपयोग करके वेब ब्राउज़र को सुरक्षित रूप से कॉन्फ़िगर करें। डिवाइस पर या एप या ब्राउज़र में माता-पिता के नियंत्रण और सुरक्षा सुविधाओं को सक्रिय करें क्योंकि यह कुछ सामग्री तक पहुंच को प्रतिबंधित करने और इन-गेम खरीदारी पर खर्च को सीमित करने में मदद करता है। यदि कोई अजनबी किसी अनुचित चीज़ के बारे में बातचीत शुरू करने का प्रयास करता है या व्यक्तिगत जानकारी का अनुरोध करता है तो सूचित करें।

इसके लिए अपनी आँखें खुली रखें

शिक्षा विभाग ने एडवाइजरी में कहा है कि घर पर इंटरनेट गेटवे स्थापित करें जिसमें बच्चों द्वारा उपयोग की जा सकने वाली सामग्री के प्रकार की निगरानी, ​​लॉगिंग और नियंत्रण जैसी सुविधाएं हों। शिक्षकों को गिरते ग्रेड और छात्रों के सामाजिक व्यवहार पर नजर रखने की जरूरत है। यदि शिक्षक कुछ ऐसा देखते हैं जो संदिग्ध या खतरनाक लग सकता है, तो उन्हें तुरंत स्कूल अधिकारियों को सूचित करना चाहिए। शिक्षकों को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चों को समय-समय पर इंटरनेट के फायदे और नुकसान के बारे में जागरूक किया जाए। शिक्षकों को वेब ब्राउज़र और वेब एप्लिकेशन के सुरक्षित कॉन्फ़िगरेशन के लिए छात्रों को प्रशिक्षित करना चाहिए।


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पत्रकारिता मेरे लिए एक मिशन है, हालाँकि आज की पत्रकारिता ना ब्रह्माण्ड के पहले पत्रकार देवर्षि नारद वाली है और ना ही गणेश शंकर विद्यार्थी वाली, फिर भी मेरा ऐसा मानना है कि यदि खबर को सिर्फ खबर ही रहने दिया जाये तो ये ही सही अर्थों में पत्रकारिता है और मैं इसी मिशन पर पिछले तीन दशकों से ज्यादा समय से लगा हुआ हूँ....पत्रकारिता के इस भौतिकवादी युग में मेरे जीवन में कई उतार चढ़ाव आये, बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ा लेकिन इसके बाद भी ना मैं डरा और ना ही अपने रास्ते से हटा ....पत्रकारिता मेरे जीवन का वो हिस्सा है जिसमें सच्ची और सही ख़बरें मेरी पहचान हैं ....

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