MP Economy Survey 2021-22: GDP में 20% का उछाल, प्रति व्यक्ति आय में भारी बढ़ोतरी

Kashish Trivedi
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश में बजट सत्र (MP Budget session) की शुरुआत हो गई है। बजट सत्र की शुरुआत के साथ ही प्रदेश का आर्थिक सर्वेक्षण (MP Economy survey) प्रस्तुत किया गया। विधानसभा में सरकार द्वारा आर्थिक सर्वेक्षण में दी गई जानकारी के मुताबिक मध्यप्रदेश में प्रति व्यक्ति आय (Per capita income) में भारी वृद्धि हुई है। वर्ष 2020-21 की तुलना में 2021 में प्रदेश के लोगों के प्रति व्यक्ति आय में 18 फीसद से ज्यादा की वृद्धि रिकॉर्ड की गई है।

विधानसभा में सरकार की तरफ से पेश की गई जानकारी के मुताबिक 2021-22 में मध्यप्रदेश के प्रति व्यक्ति शुद्ध आय ₹1 लाख 24 हज़ार बड़े हैं। वहीं 2020 में यह आंकड़ा ₹1 लाख 04 हज़ार 894 रिकॉर्ड किया गया था। वहीं विधानसभा पेश की गई जानकारी के मुताबिक सरकार को 2021-22 को विभिन्न स्रोतों से करीब ₹1 लाख 64 हज़ार 000 का लाभ रहा है जो पिछले वर्ष की तुलना में 20% अधिक है।

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इसमें खनन राजस्व से सबसे अधिक वृद्धि 36% रिकॉर्ड की गई है जबकि प्रदेश के ऊपर 2 लाख करोड़ रुपए से अधिक का कर्ज सरकार द्वारा माना जा रहा है। इसके अलावा एमपी में सकल घरेलू उत्पाद यानी GDP 2020-21 की तुलना में बढ़कर 19.7 फीसद रिकॉर्ड की गई है। मध्य प्रदेश मैं बीते वर्ष की जीडीपी की तुलना में इस वर्ष में 20% का उछाल देखने को मिला है।

दुग्ध उत्पादन बढ़कर 17 हजार 999 मीट्रिक टन हो गया है। पंजीकृत दुग्ध सहकारी समितियों की संख्या 10 हजार 205 हैं। इनमें से 7205 कार्यरत हैं। ये समितियाँ प्रतिदिन औसतन 5.60 किलोग्राम दूध का संकलन कर रही हैं। कोरोना संक्रमण काल में भी यह सिलसिला जारी रहा। अधो-संरचना के निर्माण में तेजी आई है। स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार हुआ है। सड़क और सिंचाई क्षेत्र में प्रगति हुई है। वर्ष 2020-21 में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उदयोगों में 5178 करोड़ रूपये का पूंजी निवेश हुआ।

किसान हितैषी नीतियों और किसानों को संकट में मदद देने वाली योजनाओं से बढ़ी हुई जीडीपी में प्राथमिक क्षेत्र का सर्वाधिक 37.43% योगदान है। वर्ष 2021-22 अग्रिम के दौरान बीते वर्ष से प्राथमिक क्षेत्र में 10.32 प्रतिशत, द्वितीयक क्षेत्र में 10.59 प्रतिशत और तृतीयक क्षेत्र में 9.67 प्रतिशत की बढ़ोतरी अनुमानित हैं। PM Kisan और मुख्यमंत्री किसान-कल्याण योजना को मिलाकर कुल 10 हज़ार रुपये हर साल प्रत्येक किसान को मिल रहे हैं। कृषि उपज को सुरक्षित रखने के लिए वैज्ञानिक भंडारण की क्षमता बढ़ाते हुए 203 लाख 39 हजार मीट्रिक टन हो गई है। गेहूँ उपार्जन 128 लाख 16 हजार मीट्रिक टन और धान का उपार्जन 45 लाख 86 हजार मीट्रिक टन रहा है।

आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार स्थिर भाव पर प्रति व्यक्ति आय बढ़कर 63 हजार 345 रुपए हो गई है, जो 2020-21 में 58 हजार 334 रूपये थी। इस प्रकार पिछले साल की तुलना में 8.59% की बढ़ोतरी हुई है। प्रचलित भाव पर प्रति व्यक्ति आय 2020-21 में 1 लाख 4 हजार 894 रूपये थी, जो 2021-22 में बढ़कर 1 लाख 24 हजार 685 हो गई है। इस प्रकार 18.87% की वृद्धि हुई है।

वर्ष 2021-22 में राजस्व प्राप्तियाँ 164677 करोड़ 45 लाख रूपये अनुमानित है, जो गत वर्ष से 20.05 प्रतिशत ज्यादा है।  वर्ष 2021-22 के दौरान हर क्षेत्र में 10.86% की वृद्धि हुई है। आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार मध्यप्रदेश में दूध उत्पादन बढ़कर 17999 मीटर तक पहुंचा है जबकि पंजीकृत सहकारी समिति की संख्या 10205 है। इसके अलावा अधोसंरचना कार्य में भी तेजी आई है स्वास्थ्य सेवाओं में जमकर सुधार हुआ है सड़क और सिंचाई क्षेत्र में भी प्रगति देखने को मिली है 2020-21 के सूक्ष्म लघु और मध्यम उद्योग के मुकाबले इस वर्ष वृद्धि देखी गई है।

आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार किसान हितेषी नीति और योजनाओं से जीडीपी को बड़ी राहत मिली है। जीडीपी में प्राथमिक क्षेत्र का सर्वाधिक 37.4% योगदान देखा गया है। इसके अलावा प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि और मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना को मिलाकर ₹10000 सालाना किसानों को उपलब्ध कराए जा रहे हैं इसके अलावा कृषि उपज को सुरक्षित करने के लिए वैज्ञानिक भंडारण क्षमता को बढ़ाकर 203 लाख 39 हजार मीट्रिक टन किया गया है।

पिछले वर्ष किस क्षेत्र में अच्छा प्रदर्शन किया है दलहन और तिलहन के क्षेत्रफल और उत्पादन में वृद्धि रिकॉर्ड की गई है। इसके अलावा लोक वित्त में निरंतर सुधार देखा जा रहा है विकास के प्रमुख क्षेत्र स्वास्थ्य शिक्षा शहरी ग्रामीण अवसंरचना में निरंतर बड़े बदलाव देखे जा रहे हैं साथ ही इसमें वृद्धि रिकॉर्ड की जा रही है।

विद्युत क्षेत्र में विद्युत क्षमता 21401 मेगावाट पहुंच गई है। विद्युत विक्रय में 5.3% की बढ़ोतरी रिकॉर्ड की गई है वहीं अब करनी है उर्जा बढ़कर 51 मेगावाट रिकॉर्ड की गई है 5 वर्ष में लगातार 10 गुना से ज्यादा वृद्धि देखने को मिली है।धान, गेहूँ, कपास और मसाला फसलों के सिंचित क्षेत्र में भी वृद्धि हुई है। पिछले साल की तुलना में सभी फसलों के सिंचित क्षेत्र में 15.90% की वृद्धि हुई है।


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