श्रीनगर, डेस्क रिपोर्ट । राज्य सरकार (State Government) द्वारा एक बार फिर से कर्मचारियों (Employees) को बड़ी राहत दी है। दरअसल जल्द ही मनरेगा कर्मचारियों (MNREGA Employees) के वेतन में वृद्धि (salary hike) की जाएगी। जिसकी घोषणा ग्रामीण विकास विभाग (Rural Development Department) के आयुक्त सचिव द्वारा की गई है उन्होंने कहा कि कर्मचारियों की मांग वास्तविक है। वह लंबे समय से इसकी मांग कर रहे हैं और इसके लिए उन्हें जल्द ही वेतन वृद्धि का लाभ दिया जाएगा।
ग्रामीण विकास विभाग की आयुक्त सचिव मनदीप कौर ने आज कहा कि मनरेगा कर्मचारियों को जल्द ही वेतन वृद्धि मिलेगी। छोटेपोरा शोपियां में शाहपायीन पार्क का उद्घाटन करने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए कौर ने कहा कि मनरेगा के हड़ताली कर्मचारियों की मांग ‘वास्तविक’ है। वे लंबे समय से काम कर रहे हैं। उनकी मांगें वाजिब हैं। उन्होंने कहा कि उनके नियमितीकरण का मुद्दा उनकी क्षमता में नहीं है, लेकिन उनका वेतन वृद्धि बहुत जल्द किया जा रहा है।
हड़ताली मनरेगा इंजीनियर्स एसोसिएशन ने आयुक्त सचिव, आरडीडी द्वारा की गई घोषणा का स्वागत किया और आशा व्यक्त की कि सरकार कम से कम समय में वास्तविक मांगों को पूरा करेगी। मनरेगा इंजीनियर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष शाहिद-उल-इस्लाम ने कहा कि हम आयुक्त सचिव, ग्रामीण विकास विभाग, मंदीप कौर के बयान का स्वागत करते हैं।जिसमें उन्होंने अपनी मांगों की वास्तविकता के बारे में हम जो कह रहे हैं, उसे स्वीकार कर लिया है।
उन्होंने कहा की हमें उम्मीद है कि कम से कम समय में मांगों को पूरा किया जाएगा ताकि आम जनता को पेन-डाउन हड़ताल के कारण असुविधा का सामना न करना पड़े। वरना हमें मांगों के लिए हड़ताल का सहारा लेने के लिए हमें मजबूर होना पड़ा है। कश्मीर में आरडीडी में काम पिछले कई हफ्तों से प्रभावित है क्योंकि मनरेगा इंजीनियर्स एसोसिएशन अपनी लंबे समय से लंबित मांगों के पक्ष में पेन-डाउन हड़ताल जारी रखे हुए है। एसोसिएशन ने उपराज्यपाल से उनकी वास्तविक मांगों को पूरा करने के लिए हस्तक्षेप करने की अपील भी दोहराई।
एसोसिएशन वेतन और नियमितीकरण के लिए नीति में बढ़ोतरी की मांग कर रहा है। एसोसिएशन का कहना है कि “हमने मनरेगा और अन्य योजनाओं को सफल बनाने के लिए अपना जीवन दिया है।एसोसिएशन ने कहा कि सरकार ने मांगों पर गौर करने के लिए दो कमेटियां बनाई लेकिन समय-समय पर किए गए वादों को पूरा करने में विफल रही है। सरकार सैद्धांतिक रूप से हमारी मांगों पर सहमत हुई और दो समितियों का गठन किया है। समितियों ने सिफारिशें कीं लेकिन सरकार द्वारा उन पर कार्रवाई नहीं की गई।