हाईकोर्ट का कर्मचारियों के लिए महत्वपूर्ण फैसला, रिटायरमेंट उम्र में 2 वर्ष की वृद्धि का इन्हें मिलेगा लाभ, सेवा रहेगी जारी

Kashish Trivedi
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हैदराबाद, डेस्क रिपोर्ट। देशभर में एक तरफ जहां Employees के सेवानिवृत्ति आयु (Retirement age) को लेकर चर्चाएं तेज है। वहीं दूसरी तरफ हाईकोर्ट (High court) में लगातार रिटायरमेंट को लेकर महत्वपूर्ण दलील और फैसले देखने को मिल रहा है। दरअसल हाल ही में हाई कोर्ट ने महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए कहा है कि सेवानिवृत्ति की आयु का निर्धारण, आयु में वृद्धि और किस तारीख से सेवानिवृत्ति की आयु बढ़ाई जाए, यह सभी नीतिगत निर्णय के दायरे में आते हैं और संविधान के अनुच्छेद 226 के तहत न्यायिक समीक्षा के दायरे में है। महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि सेवानिवृत्ति के मामले में आयु को आगे बढ़ाया जा सकेगा। इससे पहले सेवानिवृत्ति की आयु को 2 वर्ष बढ़ाया गया था।

याचिका की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति रवि नाथ तिलहरी की पीठ ने कहा कि वैधानिक नियमों की अनुपस्थिति में सेवा शर्त को नियंत्रित करने कार्यकारी निर्देशक प्रशासनिक रूप से लिए गए निर्णय संचालित किए जाएंगे। इन्हीं निर्देश के अनुसार सेवानिवृत्ति की आयु के मामले को आगे बढ़ाया जा सकेगा।

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बता दें कि इससे पहले शासकीय कर्मचारियों के मामले में 2014 को सेवानिवृत्ति की आयु को बढ़ाकर 58 से 60 वर्ष किया गया था। जिसके बाद स्कूलों के शिक्षण और गैर शिक्षण कर्मचारी के संबंध में सेवानिवृत्ति आयु को बढ़ाने की मांग की जा रही थी। वहीं स्कूलों के शिक्षण और गैर शिक्षण कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति आयु को भी बढ़ाकर 60 वर्ष कर दिया गया है।

हाईकोर्ट ने कहा कि शिक्षण और गैर शिक्षण कर्मचारियों के संबंध में सेवानिवृत्ति आयु 60 वर्ष की गई है। ऐसे में प्राचार्य के पद पर तब तक याचिकाकर्ता को जारी नहीं रखने का कोई औचित्य नहीं है। याचिकाकर्ता जब तक 60 वर्ष की आयु प्राप्त नहीं कर लेते, वो सेवानिवृत्ति को प्राप्त नहीं कर सकते। सेवानिवृत्ति के मामले में सरकारी कर्मचारियों के बराबर उन्हें भी 60 वर्ष का लाभ मिलना चाहिए।

बता दें कि पीठ के समक्ष सबसे बड़ा मुद्दा यह था कि क्या याचिकाकर्ता की सेवानिवृत्ति आयु 58 वर्ष से बढ़ाकर 60 वर्ष तक जारी किया जा सकता है। वही याचिकाकर्ता प्राचार्य 60 वर्ष पूरा होने तक सेवानिवृत्ति को प्राप्त नहीं कर सकते और आयु पूरी होने के बाद ही उन्हें रिटायरमेंट दिया जा सकता है।

जिस पर बोलते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि कानून के प्रस्ताव पर कोई विवाद नहीं है कि सेवानिवृत्ति की आयु का निर्धारण, आयु में वृद्धि और किस तारीख से वृद्धि करना है, इस पर फैसला किया जाए। यह सभी निर्णय नीतिगत निर्णय के दायरे में आते हैं और न्याय के दायरे के हिस्से हैं। अनुच्छेद 226 के तहत न्यायिक समीक्षा की दायरे में आते हैं। जिसके लिए सीमित आधार तय किए गए हैं। कोर्ट ने निर्देश दिया है कि याचिकाकर्ता सेवा की निरंतरता के साथ सभी सेवा लाभों का पात्र होगा, इसके साथ उसे उसी पद पर तत्काल सेवा में बहाल होने का हकदार होगा।


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