जबलपुर, डेस्क रिपोर्ट। हाई कोर्ट ने (MP High court) कर्मचारियों (Employees) के लिए महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। एक याचिका में सभी पक्षों की दलील सुनने के बाद हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि सेवानिवृत्ति के बाद शासन के कर्मचारियों को दिए गए समयमान वेतनमान (third time scale) के आदेश को निरस्त नहीं किया जा सकता। यदि ऐसे आदेश को निरस्त किया जाता है तो यह नियम विधि के विरुद्ध है। हाईकोर्ट ने आदेश को निरस्त करते हुए शासन को निर्देश दिया कि वह जल्द से जल्द सेवानिवृत्त शासकीय कर्मचारियों को समयमान वेतनमान का लाभ दें।
दरअसल प्रदीप कुमार तेलंग सहायक ग्रेड 2 के पद पर पशु चिकित्सक विभाग से जिला टीकमगढ़ से सेवानिवृत्त हुए थे। 30 वर्ष की सेवा पूरी करने के बाद उन्हें तृतीय समय मान वेतनमान का लाभ दिया गया था। इस मामले में संयुक्त संचालक कोष लेखाकार सागर की आपत्ति की सर्विस बुक पर यह लिखा गया है कि एलडीसी के रूप में 17 मई 1982 से 17 जून 1982 के बीच की सेवा समयमान हेतु गणना नहीं की जा सकेगी। ऐसे में सेवानिवृत होते समय उन्हें तृतीय समयमान का आदेश निरस्त कर दिया गया था।
सेवानिवृत्त कर्मचारी द्वारा हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई। याचिका पर दलील पेश करते हुए अधिवक्ता अमित चतुर्वेदी द्वारा कहा गया कि अनुवीक्षण समिति के अनुमोदन के बाद सहायक वर्ग 2 को तीसरे समय मान का लाभ दिया गया था। इस दौरान उनके पात्रता के सभी बिंदुओं का परीक्षण भी किया गया था लेकिन समय मान निरस्त करते समय कर्मचारियों को सुनवाई का भी अवसर नहीं मिला।
जिस पर कोर्ट ने पक्षों की दलील सुनने के बाद तृतीय समय वह निरस्त करने वाले आदेश को खारिज कर दिया है। साथ ही शासन को आदेश दिया है कि सभी बिंदुओं पर विचार कर जल्द ही कर्मचारी को नवीन आदेश जारी किए जाएं।