भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश में कर्मचारी प्रमोशन (MP Employees Promotion) पर हाई कोर्ट (High court) ने बड़ा फैसला दिया है। मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (MP High court) ने याचिका की सुनवाई करते हुए कहा कि पदोन्नति (promotion) से इनकार करने वाले कर्मचारियों को क्रमोन्नति से वंचित नहीं किया जा सकता है और अगर ऐसा किया जा रहा है तो इसमें राज्य शासन को कर्मचारियों को ब्याज (Interest) सहित एरियर (Arrears) का भुगतान करना होगा।
दरअसल मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय में रेखा शर्मा ने याचिका दायर की थी। रेखा शर्मा उच्च श्रेणी शिक्षक के पद पर मेडिकल स्कूल जबलपुर में कार्यरत है। याचिका दायर करते हुए रेखा शर्मा ने कहा कि 24 वर्ष की सेवा पूरी करने के बाद भी उन्होंने पदोन्नति का लाभ नहीं लिया था। बावजूद इसके जिला शिक्षा अधिकारी द्वारा उन्हें क्रमोन्नति से वंचित कर दिया गया। इस मामले में याचिका की सुनवाई उच्च न्यायालय के न्यायाधीश जस्टिस विवेक अग्रवाल कर रहे थे।
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रेखा शर्मा के पक्ष में वकील सत्येंद्र जोशी ने तर्क देते हुए कहा कि उच्च श्रेणी शिक्षक के पद पर लगातार 24 वर्षों से कार्यरत होने के बावजूद आवेदिका ने पदोन्नति का लाभ नहीं दिया था लेकिन वह द्वितीय क्रमोन्नति की पात्रता रखती हैं। उन्हें इसका लाभ दिया जाना चाहिए। जिला शिक्षा अधिकारी के आदेश थे कि ऐसे कर्मचारी, जिन्होंने पदोन्नति का लाभ नहीं लिया, उन्हें क्रमोन्नति का लाभ नहीं दिया जा सकेगा। ऐसे में उन्हें क्रमोन्नति का लाभ नहीं दिया गया और इससे वंचित कर दिया गया। उनके सेवा पुस्तक में कटौती के आदेश जारी कर दिए गए थे। जिसके बाद उनके वेतन में राशि कटौती करने के भी आदेश दिए गए थे।
जिसके बाद मामले की सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय के जस्टिस विवेक अग्रवाल ने आवेदक के पक्ष में फैसला देते हुए कहा कि पदोन्नति से इनकार करने वाले कर्मचारियों को क्रमोन्नति से वंचित नहीं किया जा सकेगा। अगर राज्य शासन द्वारा किया जा सकता है तो इसके लिए कर्मचारियों को 9% का ब्याज सहित एरियर का भुगतान करना होगा।