जबलपुर, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश (MP) हाईकोर्ट (high court) ने शासकीय कर्मचारियों (government government) के इसमें बड़ा फैसला दिया है। दरअसल शासकीय कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति (retired) के बाद उनसे रिकवरी को अनुचित ठहराते हुए मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने कहा कि रिकवरी नोटिस (recovery notice) जारी करना पूर्णता गलत है। साथ ही हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्त कर्मचारी से वसूली के आदेश को अनुचित पाया है और साथ ही निरस्त करने के आदेश जारी किए हैं।
दरअसल मंडला निवासी वीरेंद्र कुमार रजक की ओर से जबलपुर हाई कोर्ट (jabalpur high court) में याचिका दायर की गई थी। जिसमें याचिकाकर्ता ने कहा कि 1990 में कृषि विभाग में आकस्मिक निधि कर्मचारी बतौर ड्राइवर उन्हें नियुक्त किया गया था। जबकि 1996 में उन्हें नियमित किया गया था। उन्हें समय-समय पर समयमान वेतनमान दिए गए।
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सेवानिवृत्ति के बाद समय मान और क्रमोन्नति वेतनमान को अनुचित भुगतान करार देकर राज्य शासन की तरफ से वसूली का आदेश जारी किया गया है। वहीं उन्हें 1 लाख 657 की वसूली के नोटिस जारी किए गए हैं। जिस पर फैसला सुनाते हुए मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के जज ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्याय आदेश को दृष्टिगत रखते हुए रिकवरी नोटिस पूर्णता गलत है। वहीं हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्त कर्मचारी से वसूली के आदेश को अनुचित पाया है और साथ ही निरस्त करने के आदेश जारी किए हैं।
हाईकोर्ट ने कहा कि जब इमानदारी से कर्मचारी द्वारा सेवा के कारण नियमित कार्य किए गए और नियम अनुसार लागू राज्य शासन द्वारा प्रदान किए। फिर सेवानिवृत्ति के बाद वसूली कैसे की जा सकती है। हाईकोर्ट ने कहा कि सेवानिवृत्ति लाभों से कटौती का तरीका सर्वथा अनुचित है और इस आदेश को निरस्त किया जाना चाहिए।