2 अप्रैल से हिन्दू नव वर्ष 2079 का प्रारंभ, शनि होंगे राजा, गुड़ी पड़वा-नव संवत्सर में संबंध सहित राशियों पर जाने प्रभाव

Kashish Trivedi
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भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। हर साल, चैत्र (chaitra) का महीना नए साल की शुरुआत का प्रतीक है। हिंदू नव वर्ष (hindu nav varsh) का पहला दिन, जिसे नव संवत्सर के रूप में जाना जाता है, चैत्र चंद्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। हिंदू नव वर्ष, जिसे विक्रम संवत (vikram samvat 2079) के नाम से भी जाना जाता है, अप्रैल के महीने में मनाया जाता है। इस दिन गुड़ी पड़वा  (Gudi padwa 2022) भी मनाई जाती है। गुड़ी पड़वा महाराष्ट्र में मनाया जाने वाला एक उत्सव है, जो नए साल की शुरुआत का प्रतीक है।

हिंदू नव वर्ष 2022

हर साल, हिंदुओं के लिए नया साल मार्च या अप्रैल के महीने में मनाया जाता है। इस साल, यह चैत्र नवरात्रि त्योहार के पहले दिन 02 अप्रैल से शुरू होगा। चैत्र नवरात्रि का पर्व 02 अप्रैल से शुरू होकर दस दिनों तक चलेगा। नौ दिनों तक चलने वाले इस उत्सव के दौरान, भक्त देवी दुर्गा की उनके विभिन्न रूपों में पूजा करते हैं। हिंदू नव वर्ष की स्थानीय विविधताएं, जिन्हें सौर नव वर्ष भी कहा जाता है, दुनिया के विभिन्न हिस्सों में पाई जा सकती हैं।

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा का ऐतिहासिक महत्व

हिंदू नव वर्ष चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा को मनाता है, इसका अतीत में कई ऐतिहासिक महत्व है। यह त्योहार उस पौराणिक दिन से जुड़ा है जिस दिन भगवान ब्रह्मा ने इस दिन ब्रह्मांड की रचना की थी। इसमें न केवल ब्रह्माजी और उनके द्वारा बनाए गए ब्रह्मांड के प्रमुख देवी-देवताओं, यक्ष-राक्षसों, गंधर्वों, ऋषियों, नदियों, पहाड़ों, जानवरों और पक्षियों और कीड़े, रोगों और उनके उपचारों की भी पूजा की जाती है। इस दिन से नया संवत्सर शुरू होता है। इसलिए इस तिथि को ‘नव संवत्सर’ भी कहा जाता है।

2 अप्रैल से हिन्दू नव वर्ष 2079 का प्रारंभ, शनि होंगे राजा, गुड़ी पड़वा-नव संवत्सर में संबंध सहित राशियों पर जाने प्रभाव

बता दें कि हिंदी मास के नाम चैत्र, वैशाख, ज्येष्ठ, आषाढ़, श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, कार्तिक, अगहन, पौष, माघ और फाल्गुन के नाम से जाना जाता है। वहीं प्रत्येक आने वाले वर्ष में 12 मास के एक काल को संवत्सर कहते हैं। वही हर संवत्सर को एक नाम दिया जाता है। कुल 60 संवत्सर होते हैं। वही वर्तमान में जो विक्रम संवत 2019 से शुरू हुआ है। इसे नल नाम का संवत्सर माना जाएगा। बता दें कि इससे पहले राक्षस संवत्सर चल रहा था।

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गुड़ी पड़वा पर जाने इस आयोजन का विशेष महत्व

गुड़ी पड़वा महाराष्ट्र में मनाया जाने वाला एक उत्सव है, जो नए साल की शुरुआत का प्रतीक है। इस घटना को आंध्र प्रदेश और कर्नाटक राज्यों में उगादी के नाम से जाना जाता है। बैसाखी पंजाब में इस उत्सव को दिया गया नाम है। कश्मीर के हिंदू इस दिन को नवरे के रूप में मनाते हैं, जबकि सिंधी इस दिन को चेती चंडी के रूप में मनाते हैं। दूसरी ओर, पश्चिम बंगाल में, इस घटना को पोइला बैशाख के रूप में जाना जाता है और इसे खुशी और प्रेम के साथ मनाया जाता है।

2 अप्रैल से हिन्दू नव वर्ष 2079 का प्रारंभ, शनि होंगे राजा, गुड़ी पड़वा-नव संवत्सर में संबंध सहित राशियों पर जाने प्रभाव

हिंदू नव वर्ष मनाने के कई ऐतिहासिक महत्व हैं, जिन्हें हम निम्नलिखित कारणों से जान सकते हैं, जो इस प्रकार हैं-

  • इस दिन के सूर्योदय से ब्रह्मा ने ब्रह्मांड की रचना शुरू की।
  • इसी दिन सम्राट विक्रमादित्य ने राज्य की स्थापना की थी। विक्रमी संवत का पहला दिन उन्हीं के नाम से शुरू होता है।
  • यह भगवान श्री राम के राज्याभिषेक का दिन है।
  • यह शक्ति और भक्ति के नौ दिन यानि नवरात्रि का पहला दिन है।
  • राजा विक्रमादित्य की तरह, शालिवाहन ने हूणों को हराने और दक्षिण भारत में सर्वश्रेष्ठ राज्य की स्थापना के लिए इस दिन को चुना। विक्रम संवत की स्थापना हुई।
  • युधिष्ठिर का राज्याभिषेक भी इसी दिन हुआ था।

हिंदू पंचांग के मुताबिक विक्रम संवत 2019 ई के चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के साथ इसकी शुरुआत हो चुकी है। चैत माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 1 अप्रैल को सुबह 11:53 से शुरू होगी। वहीं 2 अप्रैल को सुबह 11:58 में समाप्त हो जाएगी। हालांकि नववर्ष की शुरुआत हमेशा सूर्योदय के साथ मानी जाती है। इस वजह से विक्रम संवत 2019 का प्रारंभ 2 अप्रैल को ही माना जाएगा। इसके साथ ही इस दिन हिंदू धर्म के पवित्र चैत्र नवरात्रि की भी शुरुआत होने जा रही है।

राशियों पर प्रभाव

बता दे कि हिंदू नव वर्ष में राजा शनि होंगे और महामंत्री गुरु बृहस्पति होंगे। 2079 संवत में शनि के राजा होने से कई लोगों को परेशानी हो सकती है। इस वर्ष महंगाई अर्थव्यवस्था सहित राजनीति में परिवर्तन के आसार नजर आ रहे हैं। इसके साथ ही मिथुन और तुला राशि को शनि की ढैया से भी मुक्ति मिल रही है।

इसके साथ ही धनु राशि के जातकों को भी शनि की साढ़ेसाती से निजात मिलेगी। जिसके कारण इन राशियों का भाग्योदय हो सकते हैं। ज्योतिष गणना के मुताबिक हिंदू नव वर्ष में एक दुर्लभ संयोग भी बनता दिख रहा है। 18 महीने के बाद राहु केतु राशि परिवर्तन कर रहे हैं। जिसके बाद मंगल राशि अपनी उच्च राशि मकर में रहेंगे। इससे हर राशि के जीवन पर अच्छा प्रभाव पड़ने की उम्मीद जताई जा रही है। साथ ही हिंदू नव वर्ष रेवती नक्षत्र में बन रहा है। जिसका फायदा लोगों को मिलेगा।


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