तिरुवनंतपुरम, डेस्क रिपोर्ट। हाईकोर्ट (high court) ने एक बार फिर से कर्मचारियो (employees) के पेंशन और ग्रेच्युटी भुगतान (pension-gratuity) पर बड़ा फैसला सुनाया है। दरअसल अपने एक महत्वपूर्ण फैसले में उच्च न्यायालय ने कहा है कि कर्मचारी को सजा के रूप में सेवानिवृत्त होने के बाद उसे पेंशन और ग्रेच्युटी का अधिकार है लेकिन वो उसके लिए दावे का अधिकार खो देता है। हाई कोर्ट ने स्पष्ट कहा है कि हाल ही में देखा जा रहा है कि 1993 के रेलवे सेवा पेंशन नियम के प्रावधानों के अनुसार रेलवे कर्मचारियों को सजा के अनुरूप में सेवा से अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्ति दी गई थी। जिसके बाद पेंशन और ग्रेच्युटी का दावा करने के अधिकार निहित कर दिए गए हैं।
साथ ही कहा जा रहा है कि वे छोटी और पेंशन की राशि दिया जाना नियोक्ता के विवेक पर है। सुनवाई में जस्टिस एके जयशंकर नांबियार और मोहब्बत नियाज सीपी की बेंच द्वारा महत्वपूर्ण सुनवाई के दौरान कहा गया कि पिछली सेवा को जब्त किया जा सकता है। दक्षिण रेलवे के महाप्रबंधक और अन्य कर्मचारियों द्वारा दो तिहाई पेंशन और दो तिहाई ग्रेजुएटी को मंजूरी देने के आदेश को चुनौती देने के खिलाफ याचिका दायर की गई थी।
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जिसकी सुनवाई करते हुए कोर्ट ने दक्षिण रेलवे को निर्देश दिया था कि याचिकाकर्ता को पूरी पेंशन का भुगतान किया जाए। जानकारी के मुताबिक याचिकाकर्ता एक वरिष्ठ क्लर्क के रूप में अपनी सेवा दे रहे थे और अक्टूबर 2004 से अनिवार्य सेवानिवृत्ति करंट झेल रहे हैं उन पर यह आरोप लगाया था कि उन्होंने खेल कोटा के तहत रेलवे में धोखाधड़ी से रोजगार हासिल किया है।
वहीं अदालत ने सुनवाई के दौरान पाया कि रेलवे सेवा पेंशन नियम के अनुसार रेल कर्मचारियों को अनिवार्य रूप से सेवानिवृत्ति के डंडे दिए गए थे। ऐसे में पेंशन ग्रेच्युटी कम से कम दो तिहाई और पूरी राशि से अधिक नहीं दी जा सकती। कोर्ट के फैसले यह दर्शाता है कि नियोक्ता के पास पूर्व विवेकाधिकार है और कर्मचारी को संपूर्ण पेंशनर ग्रेजुएटी में कोई निहित दावा नहीं किया जा सकता है। जिस पर अदालत ने कहा कि सेवा को जप्त किया जा सकता है और पेंशन रोक दी जा सकती है।
अदालत ने अपने स्पष्ट आदेश में फैसला सुनाया कि पेंशनरों सिटी के रूप में देय राशि का निर्धारण करने के लिए सजा और विवेक का प्रयोग एक साथ नहीं किया जाना चाहिए। वहीं अदालत ने याचिका को स्वीकार कर लिया है और ट्रिब्यूनल पारित आदेश को रद्द कर दिया है।