भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश (madhya pradesh) में जूनियर डॉक्टरों (junior doctors) की हड़ताल (strike) के बाद अब वेतन बढ़ोतरी (increment) समेत अन्य मांगों को लेकर प्रदेश भर में नर्सों ने बुधवार को अनिश्चितकालीन हड़ताल की घोषणा की है। हमीदिया (hamidia) और सुल्तानिया अस्पताल सहित प्रदेश के अन्य जगह पर Nurses एकत्रित होने लगी है। वही नर्स (nurses) द्वारा अपनी मांग को लेकर नारेबाजी की जा रही है। इसी बीच अस्पताल प्रबंधन ने हड़ताल को देखते हुए नर्सिंग स्टूडेंट और NRHM की तरफ से नर्सेज की रोस्टर बनाकर ड्यूटी (duty) लगाई जा रही है। लगातार आंदोलन के बाद भी सरकार ने एसोसिएशन से अब तक कोई चर्चा नही की है।
इस मामले में नर्सेस का कहना है कि जब तक हमारी मांगे पूरी नहीं होगी। हम अनिश्चितकालीन हड़ताल करते रहेंगे। अस्पताल प्रबंधन की तरफ से आश्वासन देने के बाद भी हमारी मांगों पर कार्रवाई नहीं की जा रही है। जिस कारण से मांग पूर्ति तक कार्य बंद रहेगा। हमीदिया के 300 सहित सुल्तानिया और अन्य अस्पतालों की 100 से अधिक नर्सों द्वारा मांग नहीं माने जाने के बाद सोमवार को सामूहिक अवकाश पर जाने का ऐलान किया गया था। हालांकि गांधी मेडिकल कॉलेज (Gandhi Medical college) के डीन (dean) के आश्वासन के बाद नर्सेज काम पर लौट आई थी लेकिन मंगलवार को दोबारा नर्स यूनियन ने बैठक की और अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने का निर्णय लिया।
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बता दें कि नर्सेस अपनी 12 सूत्रीय मांग को लेकर हड़ताल करेंगे। जिसमें 2004 के बाद नियुक्त हुए सभी स्टाफ नर्सों को पुरानी पेंशन लागू करने के साथ कोरोना Era में काम करने वाली नर्सेस को दो वेतन वृद्धि दी जाए। इसके अलावा Corona काल में अस्थाई रूप से भर्ती की गई नर्सेस को नियमित किया जाए।
साथ ही अन्य राज्यों की तरह प्रदेश में समस्त नर्सेस का स्टाफ नर्स पदनाम पद बदलकर नर्सिंग ऑफिसर किया जाए। वही सरकारी अस्पताल और मेडिकल कॉलेज में सेवारत नर्सों को उच्च शिक्षा के लिए आयु सीमा बंधन हटाया जाए। इसके अलावा 2018 में आदर्श भर्ती नियमों में संशोधन करते हुए प्रतिशत के नियम को हटाकर स्थानांतरण की प्रक्रिया चालू की जाए।
वही Corona era में शहीद हुए नर्स स्टाफ के परिजनों को अनुकंपा नियुक्ति देने के साथ उन्हें राष्ट्रीय कोरोना योद्धा अवार्ड से सम्मानित किया जाए। साथ ही मेल नर्स की भर्ती भी तत्काल प्रभाव से की जाए। वही पदस्थ नर्सेस को सातवें पे कमीशन का लाभ 2018 की बजाय 2016 से दिया जाना चाहिए। जबकि शासकीय नर्सिंग कॉलेज और स्कूल में अध्ययनरत छात्राओं को कलेक्ट्रेट दर पर मानदेय दिया जाना चाहिए।