भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। राजस्थान के बाद अब मध्यप्रदेश में अधिकारी-कर्मचारियों (MP Employees Officer) के लिए पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करने की मांग लगातार जोर पकड़ती जा रही है। कर्मचारियों के साथ इस मांग के समर्थन में मध्य प्रदेश के कई विधायक (BJP-Congress MLA) भी शामिल हो गए हैं। इतना ही नहीं 48 विधायकों ने अधिकारी- कर्मचारियों की मांग के संबंध में मुख्यमंत्री को पत्र लिखा है।इसमें कईयों ने तो ट्वीट कर सीएम से पुरानी पेंशन बहाली करने की मांग की है।
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दरअसल, राजस्थान और महाराष्ट्र के बाद अब मध्य प्रदेश में भी पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करने की मांग तेज होती जा रही है। 2004 से मध्य प्रदेश में नई पेंशन व्यवस्था लागू कर दी गई थी, जिसके तहत कर्मचारी- अधिकारियों को पुरानी पेंशन व्यवस्था की अपेक्षाकृत बेहद नुकसान होता था। अधिकारी- कर्मचारियों का मानना है कि सरकार का काम सामाजिक सरोकार से जुड़ा होता है और वृद्धावस्था में किसी भी सरकारी कर्मी को सुरक्षित भविष्य के लिए पुरानी पेंशन व्यवस्था से अच्छा कोई विकल्प नहीं है। रविवार को प्रदेश भाजपा अध्यक्ष वीडी शर्मा को पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करने के लिए मध्यप्रदेश कर्मचारी मंच के प्रतिनिधि मंडल ने ज्ञापन सौंपा।
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इस ज्ञापन के साथ 48 विधायकों द्वारा मुख्यमंत्री को लिखे गए पत्र की प्रति भी संलग्न की गई है। इन विधायकों में लक्ष्मण सिंह, जयवर्धन सिंह, सुलोचना रावतर महेश परमार, बैजनाथ कुशवाहा, भूपेंद्र मरावी, निलय डागा, नीलांशु, बापू सिंह तंवर, आलोक चतुर्वेदी, वीर सिंह भूरिया आदि शामिल है कर्मचारी मंच के प्रांतीय अध्यक्ष अशोक पांडे का कहना है कि 48 विधायकों द्वारा लिखे गए पत्र में पुरानी पेंशन योजना बहाल करने की मांग की गई है और उसके साथ ही साथ 2005 से चल रही नई पेंशन योजना को बंद करने की मांग की गई है। पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करने के लिए कर्मचारी मंच पिछले 88 दिनों से हस्ताक्षर अभियान चला रहा है। जिस तरह से प्रदेश में विभिन्न कर्मचारी संगठन पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करने को लेकर आंदोलनरत हैं उससे साफ लगता है कि आने वाले बजट सत्र में इस मुद्दे पर विधानसभा में भी जमकर हंगामा होगा।
13 मार्च को बड़े आंदोलन की तैयारी में कर्मचारी
मध्य प्रदेश के कर्मचारियों-अधिकारियों ने तो 13 मार्च को बड़े आंदोलन की तैयारी कर ली है। वही शिवराज सरकार से मांग की है कि अगर बजट सत्र में पुरानी पेंशन बहाल नहीं की जाती है तो 13 मार्च को बड़ा आंदोलन होगा। कर्मचारियों कि मांग है कि 1 जनवरी 2005 या इसके बाद नियुक्त कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन स्कीम लागू हो। नई पेंशन स्कीम में कर्मचारियों को रिटायरमेंट के बाद सिर्फ हर महीने 800 से डेढ़ हजार रुपए ही पेंशन मिल रही है। प्रदेश में दो लाख 87 हजार शिक्षक और 48 हजार स्थयीकर्मी पुरानी पेंशन बहाली को लेकर संघर्षरत हैं।
पुरानी पेंशन बहाली से ये पड़ेगा असर
- वर्तमान में अंशदायी पेंशन के तहत कर्मचारियों के मूल वेतन से 10% राशि काटी जाती है, जिसमें 14 % सरकार मिलाती है।
- ब्याज सहित कुल जमा राशि का 40 से 60 % हिस्सा कर्मचारी को सेवानिवृत्ति पर एकमुश्त देते हैं और शेष राशि से पेंशन मिलती है, जो वर्तमान में पांच 500 से 3 हजार रुपये तक है।
- पुरानी पेंशन स्कीम अगर रिटायरमेंट के दौरान जिस का वेतन 50000 रू मासिक होगा उसको करीब 25000 रू मासिक पेंशन आजीवन मिलेगी। पेंशनर की मृत्यु के बाद उसकी पत्नी को भी इसका लाभ मिलना था।
- हर साल दो बार महंगाई भत्ता बढ़ता है और पेंशनर की मौत होने पर उसकी पत्नी को परिवार पेंशन दी जाती है। पुरानी पेंशन बहाल होने से अधिकारियों और कर्मचारियों को अपने हिस्से की 10 प्रतिशत की बचत होगी और लाइफ टाईम पेंशन के रूप में आधा वेतन मिलता रहेगा।