भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्यप्रदेश (MP) में अनुपयोगी खर्चों पर रोक लगाने के लिए शिवराज सरकार (shivraj government) बड़ा फैसला लेने जा रही है। दरअसल सूत्रों की मानें तो कई विभागों (department) ने एक एक प्रकृति वाले विभागों को एक दूसरे में मर्ज (merge) करने का प्रस्ताव दिया है। माना जा रहा है कि जल्द एक सामान्य प्रकृति वाले विभागों को एक दूसरे में मर्ज कर दिया जाएगा। हालांकि इसकी कवायद 3 साल पहले से चल रही थी लेकिन अब तक इस पर कोई फैसला नहीं हो पाया है।
ज्ञात हो कि Corona की दूसरी लहर (second wave) ने देश भर में भारी तबाही मचाई थी। जिसके बाद आर्थिक स्थिति पर बड़ा प्रभाव पड़ा है। वहीं 3 साल पहले से शिवराज सरकार द्वारा एक समान एक प्रकृति वाले विभागों को एक दूसरे में मर्ज करने की बात कही जा रही है लेकिन विधानसभा चुनाव (assembly election) सहित कोरोना की वजह से इसकी कार्यवाही रोक दी गई थी। हालांकि एक बार फिर से वरिष्ठ अफसरों के साथ इस बात पर चर्चा की जा रही है।
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जानकारी के मुताबिक जिन विभागों को एक दूसरे में मर्ज किया जा सकता या बंद किया जा सकता है। उनमें जनशक्ति निवारण विभाग और सीएम हेल्पलाइन में एक तरह की शिकायत दर्ज होती है तो इन दोनों विभाग को एक दूसरे में मर्ज किया जा सकता है। इसके अलावा स्वास्थ्य, आयुष, गैस राहत और चिकित्सा शिक्षा विभाग एक किए जा सकते हैं।
स्कूल शिक्षा और आदिम जाति कल्याण विभाग में स्कूल संचालित करने के कार्य संचालित होते हैं। इस कारण से इस दोनों विभागों को भी एक किया जा सकता है। पशुपालन डेयरी और कृषि विभाग के साथ नवकरण ऊर्जा के विभाग को भी एक करने पर सहमति बन सकती है।
यदि विभागों को बंद है तो एक दूसरे में मर्ज किया जाता है तो इससे विभाग में बढ़ते खर्च में कमी आएगी। इससे पहले भी कई बार शासन की तरफ से यह बात कही जा चुकी है कि विभाग के बढ़ते खर्चों के साथ-साथ बजट का 25 फीसद हिस्सा अधिकारी कर्मचारी के वेतन भत्ते सहित अन्य कार्य में खर्च होता है। वहीं कई विभागों के एक दूसरे में मर्ज होने से इन खर्चो को रोका जा सकेगा।