मप्र पंचायत चुनाव: अब 17 जनवरी को OBC आरक्षण पर SC में सुनवाई, हो सकता है बड़ा फैसला

Pooja Khodani
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ओबीसी आरक्षण पंचायत चुनाव

भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश के पंचायत चुनावों (MP Panchayat Election 2022) को लेकर बड़ी खबर है।आज सोमवार 3 जनवरी 2022 को पंचायत चुनाव में ओबीसी आरक्षण को बहाल कराने के लिए शिवराज सरकार की पुनर्विचार याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई अब 17 जनवरी 2022 को होगी। एमपी कांग्रेस नेता सैयद जाफर ने ट्वीट कर बताया है कि पंचायत चुनाव के लिए प्रदेश और केंद्र सरकार की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने 17 जनवरी 2022 को सुनवाई की तारीख तय की है। इसमें शिवराज सरकार (Shivraj Government) चुनाव टालने की मांग करेगी।वही केन्द्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से 3 महीने का समय मांगा है।

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एमपी कांग्रेस नेता सैयद जाफर ने ट्वीट कर लिखा है कि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को आश्वस्त किया कि हम देश के सभी राज्यों से OBC आरक्षण देने के लिए ट्रिपल टेस्ट अनिवार्य करने की बात कह रहे हैं।केंद्र सरकार के इस तर्क से यह साबित होता है कि मध्य प्रदेश की सरकार ने ओबीसी आरक्षण देने के लिए संविधानिक कार्रवाई पूरी नहीं की जिस वजह से मध्य प्रदेश में ओबीसी आरक्षण समाप्त हुआ। अभी भी वक्त है प्रदेश सरकार जल्द से जल्द सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर सभी औपचारिकताओं को पूरा करे।रोटेशन के आधार पर आरक्षण करें और ओबीसी वर्ग को 27 % आरक्षण दे और पंचायत चुनाव जल्द से जल्द कराना सुनिश्चित करें।

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शिवराज सरकार की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे पैरवी करेंगे और बताएंगे कि ओबीसी मतदाताओं (OBC reservation) की गणना कराई जा रही है। प्रदेश में पिछड़ा वर्ग की आबादी 52 प्रतिशत से अधिक है, ऐसे में केंद्र सरकार की ओर से प्रदेश सरकार को पिछड़ा वर्ग के सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक स्थिति का प्रतिवेदन तैयार करने के लिए 4 माह का समय दिया जाए।केन्द्र की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता तुषार मेहता अपना पक्ष रखेंगे।  वही OBC वोटरों की गिनती के लिए सभी कलेक्टरों को निर्देश दिए गए हैं कि 7 जनवरी तक यह प्रक्रिया पूरी कर ली जाए और पंचायतवार व वार्डवार जानकारी मप्र शासन को भेजी जाए।

केन्द्र सरकार ने भी लगाई याचिका

इधर, केंद्र सरकार ने अर्जी दाखिल कर खुद को पक्षकार बनाने की मांग की है। केंद्र सरकार ने पंचायत चुनाव के संबंध में 17 दिसंबर के आदेश को वापस लेने की मांग करते हुए कहा कि जमीनी स्तर के शासन में निर्वाचित निकायों में समुदाय का पर्याप्त प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किए बिना चुनाव कराना संविधान के जनादेश के विपरीत है ।केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में यह भी सुझाव दिया है कि वैकल्पिक रूप से 4 महीने के लिए चुनाव टाल सकता है और 3 महीने के भीतर आयोग से रिपोर्ट मांग सकता है।

ओबीसी को भी चुनाव का अधिकार

बता दे कि हाल ही में सीएम शिवराज सिंह चौहान (CM Shivraj Singh Chouhan) ने कहा था कि भारतीय जनता पार्टी की नीति रही है सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास और सबका प्रयास। सामाजिक न्याय, समाजिक समरता के साथ सब समाज को लेकर आगे बढ़ते जाना है ।सामान्य वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण मध्य प्रदेश में लागू किया गया है। अनुसूचित जाति जनजाति को भी न्याय दिया।OBC आरक्षण को भी पंचायत चुनाव में अधिकार है, इसलिए हम कोशिश कर रहे है कि सबको न्याय मिले।

 


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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