भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश(MP) में जहां एक तरफ से शराबबंदी (liquor ban) को लेकर नेताओं की बहसबाजी जारी है। वहीं दूसरी तरफ से इस पर अंकुश लगाने के लिए शिवराज सरकार (shivraj government) द्वारा बड़ी कार्रवाई की जा रही है। इसी बीच 21 सितंबर को हुई मंत्रिपरिषद (cabinet meeting) की बैठक में बड़े निर्णय लेते हुए आबकारी संबंधी अपराधों को लेकर सजा और जुर्माने का प्रावधान किया गया है। जिससे अपराधों पर नियंत्रण बढ़ेगा। साथ ही मंत्रि-परिषद ने वाणिज्यिक कर विभाग द्वारा 31 जुलाई 2021 तक लागू वर्ष 2020-21 की देशी मदिरा प्रदाय व्यवस्था को 31 मार्च 2022 तक बढ़ाये जाने का अनुमोदन दिया।
दरअसल मध्यप्रदेश में आबकारी संबंधी अपराधों पर नियंत्रण लगाने के लिए शिवराज सरकार ने मंत्रिपरिषद की बैठक में मध्य प्रदेश आबकारी अधिनियम संशोधन विधेयक 2021 का अनुमोदन किया है। इसमें मुख्यत: धारा 49 (ए) के अन्तर्गत जहरीली शराब से सम्बन्धित अपराधों के लिए दण्ड का प्रावधान है। यदि जहरीली शराब के सेवन से किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो इस अपराध के लिए दोषी को आजीवन कारावास या मृत्युदण्ड और न्यूनतम 20 लाख रूपये तक का जुर्माना का प्रावधान किया गया है। इससे अपराधों पर नियंत्रण बढ़ेगा।
संशोधन विधेयक में मानवीय उपयोग के लिए अनुपयुक्त अपमिश्रित मदिरा सेवन से शारीरिक क्षति होने पर पहली बार में न्यूनतम 2 वर्ष और अधिकतम 8 वर्ष तक का कारावास और न्यूनतम 2 लाख रूपये तक का जुर्माना तथा दूसरी बार अपराध करने पर न्यूनतम 10 वर्ष और अधिकतम 14 वर्ष तक का कारावास और न्यूनतम 10 लाख रूपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया है।
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वहीँ मानवीय उपयोग के लिए अनुपयुक्त अपमिश्रित मदिरा मिलने पर पहली बार में न्यूनतम 6 माह और अधिकतम 6 वर्ष तक का कारावास और न्यूनतम 1 लाख रूपये तक का जुर्माना तथा दूसरी बार अपराध करने पर न्यूनतम 6 वर्ष और अधिकतम 10 वर्ष तक का कारावास और न्यूनतम 5 लाख रूपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। किसी आबकारी अधिकारी द्वारा किसी भी ऐसे व्यक्ति को जो अधिनियम के अंतर्गत कर्त्तव्य निष्पादन में बाधा डाले या हमला करे, उसे गिरफ्तार किया जा सकेगा।
प्रदेश में महुआ आधारित मदिरा को मुख्य धारा में लाने के लिए उसे हैरिटेज (पारम्परिक) मदिरा का दर्जा दिये जाने का निर्णय लिया गया है। इसके नियंत्रित निर्माण एवं विक्रय के लिए विभाग द्वारा नियम निर्धारित किये जाएंगे। इससे महुआ से निर्मित मदिरा के लघु उद्योग प्रोत्साहित होंगे। अधिनियम में पहले से प्रावधानित आदिवासियों के अधिकार यथावत सुरक्षित रखे जायेंगे।