नीमच, कमलेश सारडा 26 अगस्त को नीमच (neemuch) जिले के सिंगोली (singoli) में एक आदिवासी (Tribal youth) को पिक अप से बांध कर घसीटा और इतना पीटा की उस की मौत हो गई थी। पुलिस ने इस मामले में 8 आरोपी चिन्हित किए थे। जिनमे से अब तक 6 लोगो की गिरफ्तारी हो चुकी है। 26 अगस्त को यह निर्मम हत्या हुई थी। जिस पर दुख जताने आज नीमच की प्रभारी मंत्री तथा इंदौर की विधायक उषा ठाकुर (usha thakur) मृतक कन्हैया भील के गांव बाणदा पूरे लाव लश्कर के साथ पहुची । और परिवार को सांत्वना दी । इसके बाद वे नीमच पहुंची और मीडिया से चर्चा की।
चर्चा में प्रभारी मंत्री उषा ठाकुर ने कहा कि वे पुलिस की कार्यवाही से संतुष्ट है। मृतक के ढाई साल के इकलौते बेटे के नाम 4 लाख की एक FD करवा दी गई है ओर कुछ ही दिन में चार लाख की एक और FD बच्चे के नाम कर दी जाएगी। इस मामले में उषा ठाकुर ने कहा कि शेष दो आरोपियो को भी जल्द पकड़ लिया जाएगा। किसी को बख्शा नहीं जाएगा।
जब उषा ठाकुर से सवाल किया गया कि आपको घटना की जानकारी कब मिली थी ? उषा ठाकुर ने कहा कि तत्काल ही उन्हें जानकारी मिल गई थी। विपक्ष को लेकर नीमच प्रभारी मंत्री उषा ठाकुर ने कहा कि अति संवेदनशील घटना है हर बात पर राजनीति करना अच्छी बात नहीं होती यदि उनको कोई कार्रवाई में कमी दिखाई देती हो तो बताएं क्योंकि सब के हक की और न्याय की लड़ाई लड़ना जनप्रतिनिधियों का काम होता है। बेवजह राजनीतिक मुद्दा बनाकर तमाशा करना यह समाज के हित में नहीं है। पुलिस की कार्रवाई से मैं संतुष्ट हूं।
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नीमच की प्रभारी मंत्री उषा ठाकुर के पास बैठे हैं जावद विधायक तथा कैबिनेट मंत्री ओमप्रकाश सकलेचा। जिनकी विधानसभा क्षेत्र का यह मामला था। दरअसल 26 अगस्त को कन्हैया लाल भील की मौत के बाद जो वीडियो वायरल हुआ और 27 अगस्त को देश के पूरे मीडिया में यह वायरल वीडियो घूमने लगा। तब भी कोई भी बड़ा नेता मृतक के परिवार से मिलने गांव तक जाने की जहमत नहीं उठा पाया। आज जब प्रभारी मंत्री नीमच पहुंची तो सारे नेता विधायक और सांसद पूरे तामझाम और लाव लश्कर के साथ मृतक कन्हैया लाल भील के गांव पहुंच गए और उन्हें सांत्वना देने लगे।
मृतक कन्हैया लाल के परिजन राजकुमार के मुताबिक जब कन्हैया लाल की हत्या हुई थी तो उस दिन अंतिम संस्कार के लिए मिलने वाली सरकारी राशि भी उन्हें नहीं मिली थी। जिसकी वजह से उन्होंने अपने रिश्तेदारों से पैसा इकट्ठा करके कन्हैया लाल भील का अंतिम संस्कार किया था। जब इस पीड़ित आदिवासी परिवार को अपने जनप्रतिनिधियों की जरूरत थी तब यह सब मौके से गायब थे। माना जा रहा है कि नीमच की इस घटना से पूरे देश मैं प्रदेश सरकार की कानून व्यवस्था पर सवाल उठ गए और अलग-अलग संगठन विरोध स्वरूप मैदान में उतरने लगे।