नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। कर्मचारियों (employees) को वर्ष 2022-23 (FY 2022-23) में एक बड़ा झटका लग सकता है। दरअसल New Wage Code के फिनेंशियल ईयर (financial year) 2022-23 में लागू होने की उम्मीद है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबि नया वेतन कोड अप्रैल 2022 के बाद प्रभावी होगा। नए मानकों (CTC) के तहत मूल वेतन (Basic Salary) कंपनी को मूल लागत का कम से कम 50% होना चाहिए।
इसके साथ ही निजी कर्मचारियों को बड़ा झटका लग सकता है। उनके टेक होम सैलेरी में कमी आएगी। साथ ही पीएफ (PF) और ग्रेजुएटी में वृद्धि होगी। बेसिक सैलरी में भी भारी वृद्धि होगी। इसके परिणाम स्वरूप निजी Employees के भत्ते के काफी बदलाव का अनुमान है।

वेज कोड बिल 2019 में ‘Salary’ की परिभाषा में बदलाव किया गया है। मूल वेतन प्रतिशत में परिवर्तन के परिणामस्वरूप भविष्य निधि योगदान (PF), ग्रेच्युटी (Gratuity) और अन्य Allowances में परिवर्तन अब अनिवार्य हैं। टेक-होम या इन-हैंड पे में गिरावट सबसे प्रत्यक्ष प्रभाव होगा। दूसरी ओर भविष्य निधि में नियोक्ता का योगदान बढ़ने की उम्मीद है।
PF में वृद्धि, Take Home Salary में कमी
पीएफ (PF) आपके मूल वेतन के अनुपात पर आधारित है। मूल वेतन में वृद्धि के साथ, भविष्य निधि में भी वृद्धि होगी। कर्मचारियों का भविष्य सुरक्षित होगा लेकिन कुल Salary से ज्यादा PF रोका जाएगा। यह टेक-होम वेतन पर हानिकारक प्रभाव डाल सकता है।
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करों में वृद्धि
मूल वेतन, Bonus और HRA के एक हिस्से के अलावा भत्ते अब गैर-कर योग्य हैं। मूल वेतन में वृद्धि के साथ कर अनिवार्य रूप से बढ़ेंगे। नए Adjustment के साथ गैर-कर योग्य हिस्सा बहुत कम हो जाएगा। Non-taxable portion 20-25 प्रतिशत तक होगा, जो पहले 50 प्रतिशत या उससे अधिक था।
नए वेतन नियमों के तहत HRA पर टैक्स में भी काफी बढ़ोतरी होने की उम्मीद है। बेसिक सैलरी बढ़ने से HRA भी बढ़ेगा। यह HRA के टैक्स योग्य हिस्से को बढ़ाएगा। हालांकि यह बदलाव उच्च आय वाले लोगों को अधिक प्रभावित कर सकता है।
Variables और भत्तों की संख्या घटी
नए नियमों के अनुसार अब मूल वेतन सीटीसी का कम से कम 50% होना चाहिए। यह अनुपात वर्तमान में कुल वेतन के 30 से 40% के बीच है। बाकी HRA, DA, CEA लाभों से देय भत्ते होंगे। जैसे-जैसे मूल वेतन बढ़ेगा, Allowances में कमी रहेगी।
उदाहरण के लिए यदि कोई व्यक्ति प्रति माह 1 लाख रुपये कमाता है, तो शेष भत्ते के साथ मूल वेतन 30,000-40,000 रुपये हुआ करता था। वहीँ नए नियम के तहत 50% की सीमा के भीतर मूल आय अब कम से कम 50,000 रुपये होनी चाहिए, उसी के अनुसार भत्ते कम किए जाएंगे।))