भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश (madhya pradesh) में प्रमोशन के आरक्षण (Reservation in Promotion) मामले में नए नियम बनाने की तैयारी राज्य सरकार (shivraj government) ने शुरू कर दी है। हालांकि इसी बीच प्रदेश के आरक्षित वर्ग (reserved category) के 25 हजार से अधिक अधिकारी कर्मचारियों को बड़ा झटका लग सकता है। प्रदेश के 25000 अधिकारी कर्मचारियों को रिवर्ट किया जा सकता है।
इस मामले की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट (supreme court) में चल रही है। ऐसे में प्रमोशन में आरक्षण मामले में आरक्षित वर्ग के अधिकारी कर्मचारियों का डाटा शिवराज सरकार को दिक्कत का सामना करना पड़ रहा है। जिससे आगामी दिनों में सुप्रीम कोर्ट में दलील पेश करने में शिवराज सरकार को दिक्कत का सामना करना पड़ सकता है।
ज्ञात हो कि अगले महीने सितंबर में सुप्रीम कोर्ट में प्रमोशन के आरक्षण की सुनवाई है। वहीं चर्चाओं की माने तो सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार से कर्मचारियों के डाटा पेश करने की बात कही है। जिसके बाद शिवराज सरकार ने आरक्षित वर्ग के 25000 से अधिक अधिकारी कर्मचारी का डाटा इकट्ठा करने की तैयारी में है।
ज्ञात हो कि एम नागराज मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश के बाद 30 अप्रैल 2016 को जबलपुर हाईकोर्ट (jabalpur high court) ने मध्यप्रदेश में पदोन्नति में आरक्षण संबंधी नियमों को असंवैधानिक करार दे दिया था। इसके पहले कई विभागों में प्रमोशन दे दिए गए थे। इस मामले की सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है।
प्रमोशन में आरक्षण ना मिलने की वजह से बीते 5 सालों में 35000 से ज्यादा आरक्षित अधिकारी कर्मचारी बिना प्रमोशन के ही रिटायर हो चुके हैं। वहीं राज्य सरकार की माने तो प्रमोशन में आरक्षण के नियम बनाने की तैयारी शुरू कर दी गई है। जबकि इस मामले में अजाक्स अध्यक्ष के प्रांतीय प्रवक्ता का कहना है कि आरक्षित वर्ग के अधिकारी कर्मचारियों को अभी उचित न्याय मिलना बाकी है।