ग्वालियर, अतुल सक्सेना। ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) इस समय मध्यप्रदेश (MP) के दौरे पर हैं। भारतीय जनता पार्टी (BJP) ज्वाइन करने के बाद से सिंधिया की मध्यप्रदेश में मौजूदगी अपने साथ कयास लेकर आती है। राजनीति के गलियारों में भाजपा ज्वाइन करते समय हुए करार यानि एग्रीमेंट की चर्चा होने लगती है, केंद्रीय मंत्री पद की बात होने लगती है, सिंधिया के सिपहसालारों को सम्मानजनक पद की बात होने लगती है लेकिन इस बार ग्वालियर में बात कुछ अलग हो रही है। बात हो रही है सिंधिया की ग्वालियर दक्षिण विधानसभा में सक्रियता को लेकर।
पूरा देश ये बात अच्छी तरह जानता है कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस पार्टी की कमलनाथ सरकार (Kamal nath Government) को गिराने में ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) और उनके समर्थक विधायकों की क्या भूमिका थी। कैसे देश की राजनीति में पहली बार एक बहुत बड़ा भूचाल आया, थोकबंद विधायक सिंधिया के एक इशारे पर कांग्रेस सरकार का मंत्री पद, विधायकी छोड़कर चले गए और भाजपा ज्वाइन कर ली। उसके बाद मध्यप्रदेश में काबिज हुई भाजपा की शिवराज सरकार (Shivraj Government) में उपचुनाव जीतकर पहुंचे कुछ विधायकों को मंत्री पद मिल गया और कुछ हारकर अब निगम मंडल में पद की लालसा में बैठे हैं।
खास बात ये है कि ग्वालियर अंचल के 70 फीसदी से ज्यादा कांग्रेसी विधायकों (Congress MLA) ने उस समय अचानक पंजे से हाथ छुड़ाकर कमल की डोर पकड़ ली थी। ग्वालियर जिले से जहां अधिकांश कांग्रेसी विधायक भाजपा के पाले में चले गए थे लेकिन ग्वालियर दक्षिण विधानसभा के युवा विधायक प्रवीण पाठक (Praveen Pathak) ने अपनी पार्टी को धोखा देने की जगह पार्टी में बने रहना उचित समझा और उपचुनाव में जाने से ग्वालियर दक्षिण विधानसभा को बचा लिया और कांग्रेस पार्टी के एक मज़बूत स्तंभ की तरह सत्ता परिवर्तन की सुनामी में डट कर खड़े रहे ।
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प्रवीण पाठक के फैसले के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) और उनके बीच राजनीतिक रंजिश पैदा गई है जो विधानसभ उपचुनावों में ग्वालियर सहित पुरे प्रदेश और देश ने देखी। दोनों ही नेता मौका मिलते ही एक दूसरे को अपने अपने तरीके से घेरते रहते है। पिछले दिनों विधायक प्रवीण पाठक (Praveen Pathak) ने सिंधिया के कोविड काल में ग्वालियर से गायब रहकर “दुबई” में होने का दावा करके सनसनी फैला दी थी और सिंधिया को बैकफुट पर धकेल दिया था। उसके बाद सिंधिया के ग्वालियर दौरे को लोग अपनी अपनी निगाह से देख रहे हैं।
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मध्यप्रदेश के चार दिवसीय दौरे पर आये सिंधिया ने एक दिन 9 जून भोपाल में बिताया , आज 10 जून को ग्वालियर आये और भिंड चले गए जिसमें उन्होंने पार्टी नेताओ और समर्थकों के यहाँ शोक संवेदनाएं व्यक्त की। भिंड से लौटकर ग्वालियर में भी वे संवेदनाएं व्यक्त करने गए। सिंधिया का यही कार्यक्रम राजनीति के गलियारों में चर्चा का विषय बन गया है।
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खास बात ये है कि गुरुवार को सिंधिया का ग्वालियर में शोक संवेदना व्यक्त करने जिन परिवारों में जाने का कार्यक्रम तैयार हुआ उन 16 परिवारों में से 11 परिवारों के निवास स्थान ग्वालियर दक्षिण विधानसभा के अंतर्गत आते हैं खास बात ये है कि उसमें कई कांग्रेसी परिवार भी शामिल हैं। सिंधिया के इस कार्यक्रम को देखकर राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि प्रवीण पाठक को घेरने के लिए अब सिंधिया एक चक्रव्यूह तैयार कर रहे हैं ताकि ग्वालियर दक्षिण से कांग्रेसी तोड़े जा सकें, वहीं दूसरी ओर पार्टी के प्रति निष्ठा दिखाकर सत्ता की गोद मे न बैठने वाले विधायक प्रवीण पाठक अभिमन्यु की भांति इस चक्रव्यूह में उलझते नज़र आ रहे हैं।
बहरहाल सिंधिया द्वारा ग्वालियर दक्षिण विधानसभा पर किया जाने वाला फोकस बताता है कि वो विधायक प्रवीण पाठक के खिलाफ 2023 विधानसभा चुनाव के लिए अभी से बिसात बिछाने की तैयारी कर रहे हैं। देखना दिलचस्प होगा कि सिंधिया का ग्वालियर दक्षिण विधानसभा के शोकाकुल परिवारों को तवज्जो देना, बाकी ग्वालियरवासियों को क्या संदेश देता है और क्या ग्वालियर के निष्ठावान कांग्रेसी एकजुटता से विधायक प्रवीण पाठक के साथ इस लड़ाई को सिंधिया के खिलाफ लड़तें है या नही।