MP OBC Reservation: 27 फीसद ओबीसी आरक्षण का मामला, हाई कोर्ट में सुनवाई आज, जानें अबतक की अपडेट

Pooja Khodani
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जबलपुर, डेस्क रिपोर्ट। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट (MP OBC Reservation) में आज 1 अगस्त को अन्य पिछड़ा वर्ग, ओबीसी आरक्षण को 14 से बढ़ाकर 27 प्रतिशत किए जाने के मामले में सुनवाई होगी। पिछली सुनवाई में हाई कोर्ट ने पूर्व में पारित 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण पर रोक संबंधी अंतरिम आदेश को बरकरार रखा था।आज से जस्टिस शील नागू और जस्टिश डी.डी बंसल की डिविजन बेंच में सभी याचिकाओं पर एक साथ रोजाना 1 घंटे सुनवाई होगी। यह सुनवाई दोपहर 3:30 से शुरू होगी जो कि 4:30 तक चलेगी।

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दरअसल, पिछली सुनवाई में मध्य प्रदेश सरकार की तरफ से सॉलीसीटर जनरल के मौजूद ना होने पर सुनवाई को 1 अगस्त के लिए टाल दिया गया था।प्रशासनिक न्यायाधीश शील नागू व न्यायमूर्ति द्वारकाधीश वंसल की युगलपीठ के समक्ष हुई पिछली सुनवाई के दौरान राज्य शासन की ओर से इस बात पर बल दिया गया कि सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता के दिल्ली से जबलपुर न आ पाने के कारण सुनवाई 22 अगस्त तक के लिए बढ़ा दी जाए। इस पर ओबीसी की ओर से विशेष अधिवक्ताओं ने मामले में अंतिम स्तर की बहस को गति देने पर जोर दिया और 22 अगस्त से पूर्व निर्धारित करने की आवश्यकता रेखांकित की।

इसके बाद हाई कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अगली सुनवाई एक अगस्त को निर्धारित कर दी। इस बीच पूर्व में पारित 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण पर रोक संबंधी अंतरिम आदेश बरकरार रखा गया है।अधिवक्ता आदित्य संघी ने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट के इंदिरा साहनी के प्रकरण में स्पष्ट दिशा निर्देश हैं। किसी भी स्थिति में कुल आरक्षण 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए। मप्र में ओबीसी को 27 और ईडब्ल्यूएस को 10 प्रतिशत मिलाकर कुल आरक्षण 73 प्रतिशत हो रहा है।

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बता दे कि हाई कोर्ट में ओबीसी आरक्षण को लेकर ओबीसी और सामान्य उम्मीदवारों द्वारा दायर की गई 63 याचिकाएं विचाराधीन हैं। इनमें PSC, शिक्षक भर्ती, सांख्यिकी अधिकारी, एडीपीओ समेत अन्य विभागों की नियुक्तियों में कोर्ट ने अंतरिम आदेश के तहत ओबीसी को 14 फीसदी आरक्षण देने कहा है।सामान्य वर्ग की ओर से सुप्रीम कोर्ट के 9 जजों के फैसले का हवाला देते हुए कुल आरक्षण 50% रखने की मांग रखी। वहीं ओबीसी की ओर से कहा गया है कि लोकतांत्रिक व्यस्था में न्यायालय के दो जजों को संविधान के तहत यह अधिकार नहीं है कि वे आरक्षण की नीति तय कर सकें। यह भी कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने 50% की सीमा को लांघने वाले EWS आरक्षण पर स्थगन नहीं दिया है।


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