भोपाल| लोकसभा चुनाव से पहले मध्य प्रदेश कांग्रेस में बड़े फेरबदल के संकेत मिल रहे हैं| पार्टी प्रदर्शन को आधार बनाकर कई महासचिव, प्रदेश प्रभारी और सचिवों को बदल सकती है| वहीं मुख्यमंत्री कमलनाथ दिल्ली दौर पर हैं, जहां वे राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गाँधी से मुलाकात करेंगे| इस बीच खबर है कि पूर्व नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह को दिल्ली बुलाया गया है| कयास लगाए जा रहे हैं उन्हें संगठन में बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है|
विधानसभा चुनाव से पहले राहुल गाँधी ने प्रदेश में कमलनाथ को प्रदेश अध्यक्ष और चार कार्यकारी अध्यक्ष बनाये थे| अब जब कांग्रेस सरकार में है ऐसे में संगठन में ध्यान देना मुश्किल हो रहा है| ऐसे में पार्टी हाई कमान जल्द बदलाव कर सकती है| मुख्यमंत्री कमलनाथ दिल्ली में हैं और उन्होंने अजय सिंह को भी बुलाया है, जिसके बाद शनिवार सुबह अजय सिंह दिल्ली रवाना हो गए हैं| माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के पूर्व उन्हें प्रदेश में कोई बड़ी जिम्मेदारी दी जा सकती है| कमलनाथ प्रदेश अध्यक्ष भी हैं| मुख्यमंत्री बनने के बाद से प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए नए नाम पर विचार शुरू हो गया था| सूत्रों के मुताबिक मंत्रिमंडल की चर्चा के दौरान भी प्रदेश अध्यक्ष बदले जाने की चर्चा थी| लेकिन अंदरूनी खींचतान के चलते लोकसभा चुनाव तक प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेदारी कमलनाथ के पास ही रहने देने की रणनीति बनाई गई थी| लेकिन सरकार और संगठन में बैलेंस बनाना मुश्किल हो रहा है| क्यूंकि शुरुआत में कई चुनौतियाँ हैं, व्यस्तता के चलते कमलनाथ संगठन की जिम्मेदारियों पर अधिक ध्यान नहीं दे पाएंगे| हालाँकि पार्टी सभी पहलुओं पर मंथन कर रही है|
सत्ता संगठन में हार चुके दिग्गज नेताओं को एडजस्ट करने की मांग उनके समर्थकों की ओर से उठ रही है। सरकार बनने के बाद कयास लगाए जा रहे थे कि अजय सिंह और रामनिवास रावत में से किसी एक नेता को प्रदेशाध्यक्ष की कमान मिल सकती हैं। रामनिवास रावत का नाम सिंधिया खेमे की तरफ से आगे हैं और प्रदेशाध्यक्ष के लिए रावत का नाम दौड़ में आगे भी है। हालांकि अभी तक प्रदेशाध्यक्ष के लिए किसी भी नेता के नाम पर हाईकमान ने मुहर नहीं लगाई है। न ही इस संबंध में अभी किसी स्तर पर बैठक हुई है। वहीं दूसरे ओर अजय सिंह को भी प्रदेशाध्यक्ष बनाए जाने की अटकले हैं। यदि अजय सिंह और रामनिवास रावत को एडजस्ट किया जाता है तो फिर अरुण यादव और राजेन्द्र सिंह को भी सरकार में एडजस्ट करना पड़ेगा। जबकि अन्य नेताओं को निगम-मंडल में मलाई दार विभाग मिल सकता है।