भोपाल। प्रदेश में 13 साल मुख्यमंत्री रहते शांत और मौन रहने वाले शिवराज सिंह चौहान विपक्ष में आते ही जबर्दस्त मुखर हो गए हैं। मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद उन्होंने जिस अंदाज में सरकार को धमकाया है, उनके डायलॉग हिट हो गए हैं। मजेदार बात यह है कि जब-जब भाजपा संगठन उन्हें दिल्ली की ओर खींचता है शिवराज सिंह चौहान भोपाल में सक्रिय होकर अपनी ताकत का एहसास कराने लगते हैं। शिवराज सिंह चौहान को पता है कि उनके किस डायलॉग से मीडिया कवरेज मिलेगा। वे ऐसे डायलॉगों का आजकल जमकर प्रयोग कर रहे हैं।
पिछले कुछ दिनों से पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मप्र खासकर भोपाल में अपनी प्रभावी उपस्थिति दर्ज कराने का कोई मौका नहीं छोड़ रहे हैं। वे कभी राजनेता, कभी विपक्ष के बड़े नेता तो कभी प्रभावी समाजसेवी के रूप में दिखने का प्रयास कर रहे हैं। भोपाल में एक मासूम बच्ची के साथ दुष्कर्म के बाद उसकी हत्या को लेकर शिवराज सिंह चौहान ने संगठन की लाइन से अलग हटकर कैंडल मार्च निकाला। बच्ची बचाओ के लिए गैर राजनीतिक अभियान शुरू किया। सीहोर के आदिवासियों के हक के लिए लड़ाई शुरू की। इन सारे अभियान में शिवराज और उनके समर्थक तो दिखाई दे रहे हैं, लेकिन भाजपा संगठन स्तर पर न तो कोई रणनीति बन रही है और न ही प्रदेश अध्यक्ष और प्रदेश संगठन महामंत्री दूर-दूर तक नजर आ रहे हैं।
एक भी नेता साथ नहीं
शिवराज सिंह चौहान को पार्टी हाईकमान ने हाल में राष्ट्रीय सदस्यता प्रभारी बनाया है। जिम्मेदारी मिलते ही उन्होंने सदस्यता अभियान की दिशा में काम भी शुरू कर दिया है। इसकी दोगुनी ताकत के साथ वे बिजली, किसान, आदिवासी एवं गरीबों के मुद्दे पर मप्र में सक्रिय हुए हैं। हालांकि वे सरकार के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान में संगठन से अलग-थलग पड़ गए हैं। उनके साथ मप्र भाजपा में समर्थकों के अलावा एक भी नेता खड़ा नहीं हुआ है।
ये डायलॉग हिट हुए
मेरा नाम शिवराज सिंह चौहान है…..
टाइगर अभी जिंदा है…
अधिकारी गाडिय़ों में आओगे और खाट पर वापिस जाओगे…
मैं ट्रैक्टर लेकर मंत्रालय में घुस जाऊंगा…
मुझे ब्यूरोक्रेटिक एटीट्यूट मत दिखाओ….