भोपाल| कांग्रेस के 15 साल के वनवास के पीछे सबसे बड़ा कारण कमर्चारियों की नाराजगी को माना जाता था| 2003 के विधानसभा चुनाव में यह नाराजगी इतनी भारी पड़ी कि दिग्विजय सिंह को सत्ता से बाहर होना पड़ा| अब 16 साल बाद एक बार फिर दिग्विजय चुनावी राजनीति में आये हैं| जिसके चलते दिग्विजय सिंह ने मंच से सबसे पहले कर्मचारियों से माफी मांगी और कहा कि वो कर्मचारी के वोट के बिना जीत नहीं पाएंगे| उन्होंने बुधवार को भोपाल में हुए सरकारी कर्मचारी संघों के होली मिलन समारोह में 16 साल पहले हुई भूल-चूक के लिए माफी मांगी।
बुधवार को भोपाल में गीतांजलि चौराहा स्थित कर्मचारी भवन में कहा कि 15 साल हो गए, होली का मौका है, कोई भूल-चूक हो गई हो तो माफ करना। अगर मैं सांसद बनता हूं तो आपको मालूम है कि दिग्विजय झूठ नहीं बोलता, हर वादा पूरा किया जाएगा। यह कार्यक्रम मप्र कर्मचारी कांग्रेस ने बुलाया था। कार्यक्रम में सिंह ने कहा कि उन्होंने मुख्यमंत्री रहते केंद्र के सामान तय तारीखों से कर्मचारियों को डीए दिलाया था। जबकि तत्कालीन भाजपा सरकार ने डीए के लिए कर्मचारी साथियों को परेशान किया। उन्होंने उस समय राज्य की आर्थिक स्थिति के अनुरूप मागें भी मानी थीं। इसके बावजूद कुछ लोग उन्हें कर्मचारी विरोधी होने का कहकर बदनाम करते हैं। यदि कर्मचारियों को लगता है कि मुख्यमंत्री रहते मुझसे भूल-चूक हुई है तो माफ कर दें। इस दौरान उनके साथ मंत्री पीसी शर्मा और जयवर्धन सिंह भी थे। दिग्विजय ने आगे कहा कि मेरे शासनकाल में कर्मचारियाें काे केंद्र के समान समय पर महंगाई भत्ता दिया गया। अनुकंपा नियुक्तियां भी दी गईं। इस दौरान दिग्विजय ने स्व. एनपी शर्मा, स्व. देवी प्रसाद शर्मा समेत कई वरिष्ठ कर्मचारी नेताओं को याद भी किया।
बता दें कि दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्री रहते हजारों दैनिक वेतन भोगियों को निकाल दिया गया था। इसके बाद से उनका विरोध तेज हुआ और कर्मचारी उनसे चिढ़ गए थे| इसी मुद्दे को भाजपा ने हर चुनाव में भुनाया और दिग्विजय काल की याद दिलाकर वोट लिए| तब से उनकी छवि कर्मचारी विरोधी बनी थी। अब दिग्विजय एक बार फिर चुनाव लड़ रहे हैं और भाजपा के सबसे मजबूत गढ़ से दिग्विजय मैदान में है जो भाजपा के लिए चुनौती बन गए हैं| दिग्विजय ने सबसे पहले नाराज कर्मचारियों को मानते हुए भूल चूक के लिए माफ़ी मांगते हुए समर्थन की अपील की है| बता दें कि भोपाल लोकसभा सीट में करीब दो लाख राज्य कर्मचारी और पेंशनर्स हैं। जो चुनाव का परिणाम बदलने का दम रखते हैं| सबसे ज्यादा करीब 50 हजार कर्मचारी वोट भोपाल की दक्षिण-पश्चिम विधानसभा में हैं।