भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा में नई सरकार ने पहले शीतकालीन सत्र में 22 हजार करोड़ का अनुपूरक बजट पास किया था। इसी के साथ 10 जनवरी को विधानसभा सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया था। अनुपूरक बजट पास हुए अब दस दिन हो गए हैं लेकिन विभागों को फंड अबतक जारी नहीं हुआ है। विभागों में फंड आवंटित नहीं होने से काम की रफ्तार पर एक बार फिर ब्रेक लग गया है। अफसरों का कहना है फंड जारी होने के बाद सरकार के फैसलों पर अमल होगा। फिलहाल फंड का इंतेजार है।
सामान्य तौर पर अनुपूरक बजट पास होने के बाद विभागों को फंड आवंटित कर दिया जाता है। जिन विभागों को अनुपूरक बजट में फंड आवंटित कर दिया गया है वह भी वित्त विभाग पर फंड जारी करने का दबाव बना रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक अनुपूरक बजट पास तो हो गया है लेकिन सरकार का खजाना फिलहाल खाली है जिस कारण विभागों को फंड के आवंटन में देरी हो रही है। विभागों को बड़ी मात्रा में धनराशि आवंटित की जानी है, लेकिन सरकारी खजाने खाली है।
हाल ही में कमलनाथ सरकार ने पहली बार एक हजार करोड़ का कर्ज लिया है। वित्त विभाग में पदस्थ अफसर ने बताया कि अनुपूरक बजट के बाद विनियोग विधेयक पारित किया गया। बिल राज्यपाल के पास हस्ताक्षर के लिए भेजा गया है। राज्यपाल अनंदी बेन पटेल 22 जनवरी को भोपाल आएंगी। इसके बाद ही बिल पर हस्ताक्षर हो पाएंगे। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया के बाद ही विभागों को फंड आवंटित किया जाएगा। अनुपूरक बजट में कृषि ऋण माफी के लिए 5000 करोड़ रुपये के कोष का प्रावधान किया गया है।
फंड का एक बड़ा हिस्सा शहरी विकास और आवास, ऊर्जा, पंचायत और ग्रामीण विकास और लोक निर्माण विभाग के विभागों को आवंटित किया गया है। अनुपूरक बजट पारित होने के 10 दिनों के बाद फंड का आवंटन न होना, इन विभागों के कामकाज को प्रभावित कर रहा है। ठेकेदारों को भुगतान के अलावा, शुरू होने वाले काम भी विभागों में देरी से हो रहे हैं। दूसरी ओर, अधिकारियों का कहना है कि बिल पर गवर्नर के हस्ताक्षर में देरी महज एक बहाना है और सच्चाई यह है कि वित्त विभाग के पास विभागों को आवंटित करने के लिए धन की कमी है।