जबलपुर हाईकोर्ट का बड़ा फैसला- मध्यप्रदेश में 14% आरक्षण ही रहेगा लागू

Pooja Khodani
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जबलपुर, संदीप कुमार। मध्यप्रदेश (Madhya Pradesh) की 28 सीटों पर होने जा रहे उपचुनाव की वोटिंग से पहले बड़ी खबर सामने आई है। जबलपुर हाईकोर्ट (Jabalpur High Court) ने 27 प्रतिशत आरक्षण (Reservation) पर रोक लगा दी है, अब मध्यप्रदेश में 14 प्रतिशत ही आरक्षण रहेगा। अब इस मामले में कोर्ट अंतिम सुनवाई 1 दिसंबर में होगी।

दरअसल,  जबलपुर हाईकोर्ट में मध्यप्रदेश में बढ़े हुए आरक्षण को लेकर लगातार सुनवाई चल रही है। कई बार आरक्षण संबंधित याचिका में सुनवाई भी हुई और मामला आगे के लिए टलता गया। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट में आज सोमवार (Monday) को भी पिछड़ा वर्ग आरक्षण संबंधित याचिकाओं से जुड़े मामलों की सुनवाई हुई। आज की सुनवाई में हाईकोर्ट ने कहा है कि फिलहाल मध्य प्रदेश में 14% आरक्षण ही अभी लागू रहेगा।

इसके साथ ही हाईकोर्ट ने कहा कि 27% बढ़े हुए पिछड़ा वर्ग आरक्षण पर लगाई गई रोक भी यथावत ही रहेगी। अब आरक्षण से जुड़े सभी संबंधित मामलों की अंतिम सुनवाई आगामी 1 दिसंबर (1 December) को होगी तब तक के लिए हाईकोर्ट ने 14% फैसला बाद आरक्षण को लागू रहने के निर्देश दिए हैं।खास बात ये है कि 27 प्रतिशत ओबीसी आरक्षण पर रोक लगने से राज्य की सरकारी नौकरियों (Government jobs) में OBC अभ्यर्थियों को इसका लाभ नहीं मिलेगा।

वर्तमान में 50 फीसदी आरक्षण
प्रदेश में वर्तमान में अनुसूचित जाति को 16, जनजाति को 20 और पिछड़ा वर्ग को 14 फीसदी आरक्षण दिया जा रहा है। इस तरह तीनों वर्गों को मिलाकर 50 फीसदी आरक्षण है। लेकिन सत्ता में आते ही कमलनाथ सरकार के शासकीय नौकरियों में 27 फीसदी करने से आरक्षण की सीमा बढ़कर 63 फीसदी हो गई थी, जो कि सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का उल्लंघन है।

बता दें कि पिछली कमलनाथ सरकार ने सत्ता में अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) को 14 % से  27% आरक्षण देने का कानून बना दिया गया था, जिसके बाद बीजेपी, कई सामाजिक संगठनों और छात्रों के द्वारा हाई कोर्ट में चुनौती दी गई थी। फिलहाल इस मामले में हाई कोर्ट ने अंतरिम आदेश दिया है कि सरकार किसी भी भर्ती प्रक्रिया में 27% आरक्षण लागू न करे।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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