नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। भारत के औषधि महानियंत्रक (DCGI) ने भारत में Covaxin और Covishield Corona टीकों के मिश्रण पर एक अध्ययन के लिए अपनी मंजूरी दे दी है। यह अध्ययन और इसका क्लिनिकल परीक्षण (clinical Trial) क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर द्वारा किया जाएगा।
29 जुलाई को केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (CDSCO) की एक विषय विशेषज्ञ समिति ने इस अध्ययन को करने की सिफारिश की थी। अपनी बैठक में विशेषज्ञ समिति ने सीएमसी, वेल्लोर को Corona टीकों Covaxin और कोविशील्ड के मिश्रण के लिए 300 स्वस्थ स्वयंसेवकों को शामिल करते हुए चरण-4 परीक्षण आयोजित करने की अनुमति देने की सिफारिश की।
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इस अध्ययन का उद्देश्य यह आकलन करना है कि क्या टीकाकरण पाठ्यक्रम को पूरा करने के लिए किसी व्यक्ति को दो अलग-अलग एक कोविशील्ड और कोवैक्सिन वैक्सीन शॉट दिए जा सकते हैं। यह प्रस्तावित अध्ययन भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा वैक्सीन प्राप्त करने वालों के एक समूह पर किए गए हालिया अध्ययन से अलग होगा, जिन्हें इस साल की शुरुआत में उत्तर प्रदेश में गलती से विभिन्न corona टीकों की खुराक दी गई थी।
7 अगस्त को, भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) के वैज्ञानिकों ने एक प्रीप्रिंट पेपर के माध्यम से एक दिलचस्प दावा किया। दरअसल भारत के कोरोना वैक्सीन ड्राइव में दो प्रमुख टीकों कोवैक्सिन और कोविशील्ड का मिश्रण न केवल सुरक्षित हो सकता है, बल्कि यह भी हो सकता है कि ये लोगों में अधिक प्रतिरक्षा प्रणाली विकसित करें।
अध्ययन का नेतृत्व ICMR-नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी, पुणे की अधिकतम नियंत्रण सुविधा की वैज्ञानिक प्रज्ञा यादव ने किया था। उन्होंने और उनके सहयोगियों ने मई 2021 में उत्तर प्रदेश के एक टीकाकरण केंद्र में कोविशील्ड की पहली खुराक और गलती से कोवैक्सीन की दूसरी खुराक प्राप्त करने वाले 18 लोगों के बीच Coronavirus के एंटीबॉडी के अपने विश्लेषण के परिणामों का आंकलन किया। जिसमे दावा किया जा रहा है कि दोनों वैक्सीन के डोज लिए लोगों कि प्रतिरक्षा प्रणाली तेजी से विकसित हुई है।