Ladli Bahna Yojana पर बड़ी अपडेट, सीएम का बड़ा बयान, जल्द भरे जाएंगे 21 साल की लाड़ली बहनों के आवेदन, राशि भी बढ़ाई जाएगी

Pooja Khodani
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Ladli Behna Yojana

Chief Minister Ladli Behna Yojana : मुख्यमंत्री लाड़ली बहना योजना पर सीएम शिवराज सिंह चौहान का बड़ा बयान सामने आया है। सीएम शिवराज ने लाड़ली बहना योजना को बहनों की जिंदगी बदलने का अभियान बताते हुए वचन दिया है कि वे प्रदेश की बहन-बेटियों का मान-सम्मान और शान कभी भी कम नही होने देंगे। 21 वर्ष की बहनों के भी आवेदन शीघ्र ही भरवाए जाएंगे।

योजना की राशि में भी होगी बढ़ोत्तरी

आज बुधवार को सीएम शिवराज गंजबासोदा पहुंचे थे, जहां उन्होंने 150 बिस्तर के अस्पताल के भूमि-पूजन सहित 142 करोड़ 57 लाख रुपए के विभिन्न निर्माण कार्यो का लोकार्पण और शिलान्यास किया और बासोदा के उदयपुर मंदिर का कॉरीडोर बनाने की घोषणा की।वही लाड़ली बहना सम्मेलन और मुख्यमंत्री भू-अधिकार पत्रों के वितरण कार्यक्रम में बहनों से संवाद करते हुए कहा कि लाड़ली बहनों को एक हजार रुपए देने से योजना शुरू की है और जैसे-जैसे पैसों का इंतजाम होगा, मैं ढाई सौ रुपए के मान से राशि बढ़ा कर तीन हजार रुपए तक ले जाकर बहनों की जिंदगी बदलने के मिशन को पूरा करूँगा।

मासिक आमदनी हो 10000

सीएम ने आगे कहा कि स्थानीय निकाय में 50 फीसदी पद महिलाओं के लिए सुरक्षित किए हैं। पुलिस में 30 प्रतिशत और अन्य नौकरियों में 50 फीसदी आरक्षण भी इसी दिशा में उठाया गया कदम है। पैसे से समाज और घर परिवार में मान-सम्मान भी बढ़ता है और उनका प्रयास है कि आजीविका मिशन तथा स्व-सहायता समूह से जुड़ कर बहनों की मासिक आमदनी कम से कम 10 हजार हो जाये। प्रयास यह है कि किसी भी बहन की आँख में आँसू न हो और वे मजबूर नहीं मजबूत बनें। बहनें तय कर लें कि उन्हें गरीब नहीं रहना है। मुख्यमंत्री ने कलेक्टर को निर्देश दिए कि वे बहनों की आजीविका के लिए स्व-सहायता समूह बनाए।

बनेगी लाड़ली बहना सेना

सीएम ने महिला और बच्चों की योजनाओं के क्रियान्वयन में लाड़ली बहना सेना की बहिनों का साथ मांगा और कहा कि लाड़ली सेना की देख-रेख में योजनाएँ बेहतर तरीके से लागू हो पाएंगी। भाई और बहिनें एक हो जाएं तो जिंदगी बदल जायेगी। बहन-बेटियों के साथ अन्याय बर्दाश्त नहीं करेंगे। उन्होंने किसानों, महिलाओं, युवाओं, गरीबों की योजना बंद करने पर पूर्ववर्ती सरकार को भी आड़े हाथों लिया।


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खबर वह होती है जिसे कोई दबाना चाहता है। बाकी सब विज्ञापन है। मकसद तय करना दम की बात है। मायने यह रखता है कि हम क्या छापते हैं और क्या नहीं छापते। "कलम भी हूँ और कलमकार भी हूँ। खबरों के छपने का आधार भी हूँ।। मैं इस व्यवस्था की भागीदार भी हूँ। इसे बदलने की एक तलबगार भी हूँ।। दिवानी ही नहीं हूँ, दिमागदार भी हूँ। झूठे पर प्रहार, सच्चे की यार भी हूं।।" (पत्रकारिता में 8 वर्षों से सक्रिय, इलेक्ट्रानिक से लेकर डिजिटल मीडिया तक का अनुभव, सीखने की लालसा के साथ राजनैतिक खबरों पर पैनी नजर)

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