भोपाल। मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस के विरष्ठ नेता कामलनाथ ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, तब लगा था कि सरकार को सफल ढंग से चलाना उनके लिए लोहो के चने चबाने जैसा होगा। इसके पीछे बड़ा कारण था सरकार को स्पष्ट बहुमत न मिलना। और मामूली अंतर से हारी बीजेपी कांग्रेस पर आक्रमक रही। लेकिन इस आक्रमकता में पार्टी नेताओं के लगातार बड़बोले बयानों ने दांव उल्टा कर दिया।
पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से लेकर नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने लगातार सरकार को लंगड़ी और गिरने का दावा करते रहे। सबसे से ज्यादा आक्रमक पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान रहे। लेकिन हाल ही में बीजेपी के दो विधायकों के कांग्रेस के पाले में आने के बाद शिवराज खुद बैकफुट पर आ गए हैं। इसका बड़ा कारण है उनके अपने बयान और प्राटी के दूसरे नेता।
इन मोर्चों पर फेल हुई भाजपा
किसान कर्जमाफी पर बीजेपी ने कांग्रेस को लगातार घेरने की कोशिश की। शिवराज सिंह चौहान इस मामले पर लगातार कांग्रेस पर हमलावर रहे। कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद सीएम के सामने पर लगातार मुश्किलें खड़े करते रहे। इस मसले पर उन्होंने इस मसले पर चर्चा के लिए विधानसभा में नोटिस भी दिया। समय भी बहस के लिए तय हो गया। लेकिन उनकी तैयारी धरी रह गई क्योंकि एक विधेयक पर मतविभाजन के दौरान उनके दो विधायक टूट कर कांग्रेस के पाले में चले गए और विधानसभा स्थागित हो गई।
पार्टी नेताओं ने ही कराई फजीहत
शिवराज सिंह चौहान ने कांग्रेस सरकार को कानून व्यवस्था पर भी घेरने की कोशिश की। कई अपराध गंभीर किस्म के हुए भी थे। सरकार के खिलाफ उन्होंने कई प्रदर्शनों में हिस्सा भी लिया। लेकिन जब आरोपी पार्टी नेता या कार्यकर्ता निकले तो वह बैकफुट पर आ गए। राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी की फजीहत हुई। फिर उन्हें केंद्रीय नेतृत्व ने राष्ट्रीय प्रभारी बनाया लेकिन हालात ये हैं कि 15 साल सत्ता संभालने के बाद वह सदस्य अभियान में ही पिछड़ गए।