भोपाल। छत्तीसगढ़ के बाद मप्र सरकार भी प्रदेश में सीबीआई के सीधे प्रवेश पर रोक लगाने की तैयारी कर रही है। इसको लेकर उच्च स्तर पर मंथन चल रहा है। फिलहाल मप्र में सीबीआई से जुड़े केस और एक्टिविटी को देखा जा रहा है। यदि कमलनाथ सरकार ने सीबीआई पर रोक लगाई तो प्रदेश में किसी मामले में सरकार, कोर्ट या फिर सुप्रीम कोर्ट की बिना अनुमति के छापा नहीं मार पाएगी।
सीबीआई की कार्रवाई केा राजनीति से प्रेरित मानकार कई राज्य अभी तक अपने अधिकारों का पालन करते हुए सीबीआई की सीधी एंट्री पर रोक लगा चुके हैं। जिनमें तेलंगाना, पश्चिम बंगाल और छत्तीसगढ़ भी शामिल है। छत्तीसगढ़ में सत्ता बदलते ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने दो दिन पहले ही सीबीआई की सीधी एंट्री पर रोक लगा दी है। मप्र सरकार से जुड़े सूत्रों के अनुसार राज्य में सीबीआई की सीधी एंट्री रोकने के लिए बार चर्चा हो चुकी है। हालांकि इसको लेकर उच्च स्तर पर मंथन होना है। संभवत:अगले कुछ दिनों में दिल्ली से विशेषज्ञों से चर्चा की जाएगी, फिर सीबीआई की एंट्री रोकने के राजनीतिक नफा-नुकसान को देखा जाएगा। बताया गया कि कांग्रेस को अंदेशा है कि आगामी लोकसभा चुनाव से पहले सीबीआई का दुरुपयोग किया जा सकता है। यदि सीबीआई को सीधे प्रवेश से रोका जाता है तो फिर हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट, केंद्र सरकार या फिर राज्य की अनुमति से ही प्रदेश में कार्रवाई कर पाएगी। केंद्रीय अधिकारियों, सरकारी उपक्रमों और निजी व्यक्तियों की जांच सीधे नहीं कर सकेगी। भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत भी प्रदेश में कोई कदम नहीं उठा सकेगी। हालांकि पहले से जो जांच चल रही हैं उन पर कोई असर नहीं पड़ेगा।
कानून में है राज्य की सहमति का प्रावधान
सीबीआई गठन के कानून में ही राज्यों से सहमति लेने का प्रावधान है। दरअसल, सीबीआई दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान अधिनियम-1946 के जरिए बनी संस्था है। अधिनियम की धारा-5 में देश के सभी क्षेत्रों में सीबीआई को जांच की शक्तियां दी गई हैं। पर धारा-6 में कहा गया है कि राज्य सरकार की सहमति के बिना सीबीआई उस राज्य के अधिकार क्षेत्र में प्रवेश नहीं कर सकती।
यदि राज्य सरकार के अधिकार क्षेत्र में होगा तो सीबीआई की सीधी एंट्री पर रोक लगाई जा सकती है। इसको लेकर विचार चल रहा है। यदि राज्य के हित में होगा तो इस पर फैसला भी लिया जा सकता है। मुख्यमंत्री से चर्चा के बाद ही यह तय होगा।
बाला बच्चन, गृह मंत्री, मप्र शासन