भोपाल। मध्य प्रदेश में जीत का सेहरा किसके सिर बंधेगा अब इसका फैसला तो कल ही होगा। लेकिन अलग अलग दावों के बीच कांग्रेस में कौन दुल्हा बनेगा इसकी चर्चा भी जोरों पर है। फैसला आने से पहले ही अतीउत्साहित कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने बधाई के संदेश पार्टी कार्यालय के बाहर लगा दिए हैं। जीत का दावा तो कांग्रेस के सभी नेता कर रहे हैं लेकिन मुख्यमंत्री कौन होगा इस सवाल पर सबकी अलग अलग राय है।
राजनीति के पंडितोंं से लेकर पान की दुकान तक सभी की अपनी अपनी राय हैं। एग्जिट पोल के आने के बाद सभी का सिर चकरा गया है। कई एग्जिट पोल में कांग्रेस को बढ़त मिलने का दावा किया गया है। सर्वे और पोल कुछ भी कहें लेकिन इस बार का चुनाव बेहद नजदीक और नेक टू नेक फाइट वाला है। अगर भाजपा चौथी बार सरकार बनाने में कामयाब होती है तो शिवराज सिंह चौहान चौथी बार फिर प्रदेश के मुख्यमंत्री बनेंगे। लेकिन अगर कांग्रेस को किसी तरह जीत मिलती है तो मुख्यमंत्री कौन होगा इसका फैसला अभी होना बाकी है। इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह कांग्रेस पर तंज कसते हुए कह चुके हैं कि कांग्रेस बिन दुल्हे की बारात है या फिर कई दुल्हों वाली बारात।
सीएम की दौड़ में ये नाम आगे
प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ मुख्यमंत्री पद के प्रबल दावेदारों में शामिल हैं। अगर कांग्रेस जीत हासिल करती है तो इसका बड़ा श्रेय उन्हें जाएगा। कांग्रेस के कार्यकाल में वह कई बड़ केंद्रीय मंत्रालयों की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। बताया जा रहा है कांग्रेस के मजबूत चुनाव प्रबंधन के पीछे कमलनाथ की रणनीति रही। जिसने सभी को एकजुट किया और कांग्रेस बिखरने से बची रही।
मध्य प्रदेश में कांग्रेस की ओर से ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम भी सबसे आगे है। हाल ही में हुई कांग्रेस प्रत्याशियों की बैठक में भी उनको सीएम बनाए जाने की मांग उठी। एक प्रत्याशी ने तो जीत के बाद अपनी सीट तक उनके लिए छोड़े का दावा किया। सिंधिया कांग्रेस की प्रचार कमेटी के अध्यक्ष हैं। ग्वालियर-चंबल समेत मालवा में भी उनका बड़ा दखल है। मृदु भाषी होने के साथ वह युवाओं का प्रतिनिधित्व भी करते हैं। वह राहुल गांधी के बेहद करीबी माने जाते हैं जिनते कमलनाथ कभी राहुल के चाचा संजय गांधी के हुआ करते थे। उनकी छवि भी बेदाग रही है। भाजपा ने तो अपना पूरा चुनाव कैंपेन ‘माफ करो महाराज’ ही उनको टारगेट कर किया था।
नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह भी सीएम और डिप्टी सीएम के पद के लिए चर्चा में बने हैं। हालांकि उन्होंने मीडिया से कहा कि इस बारे में आलाकमान फैसला करेगा। कांग्रेस के चाणक्य कहे जाे वाले उनके पिता अर्जुन सिंह से उन्हें सियासत के गुर विरासत में मिले हैं। पूर्व नेता प्रतिपक्ष स्व सत्यदेव कटारे के बाद अजय सिंह ने ही कांग्रेस की बागडोर संभाली। सड़क से लेकर विधानसभा तक सरकार को हर मुद्दे पर घेरने और कांग्रेस कार्यकर्ताओं में नई जान फूंकने के लिए उनका बहुत बड़ा योगदान है। यही नहीं सीएम पद की लड़ाई में अजय सिंह को फायदा भी मिल सकता है। एक तो वह दिग्विजय सिंह गुट के नेता हैं। अगर पार्टी कमलनाथ और सिंधिया को लोकसभा चुनाव के लिए केंद्र में रोकना चाहेगी तो अजय सिंह सबसे मजबूत विकल्प उनके सामने होंगे।
दिग्विजय सिंह कांग्रेस के चाणक्य हैं। उन्होंने प्रदेश पर एक दशक तक हुकूमत की है। वह प्रदेश की सियासत की हर नब्ज से वाकिफ हैं। कुछ हल्कों में अभी भी उनका नाम सीएम की दौड़ में शामिल है। हालांकि वह इस दौड़ में खुद को शामिल नहीं मानते हैं। वह अपने परिवार के तीन सदस्यों को टिकट दिलवाने में कामयाब रहे। इससे जाहिर होता है पार्टी में उनका कद अभी घटा नहीं है। उन्होंने बागियोंं और नाराज नेताओं को मनाने में बड़ी भूमिका निभाई है।