भोपाल। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में समन्वय समिति के अध्यक्ष की जिम्मेदारी निभाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह अब सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया के गढ़ ग्वालियर लोकसभा सीट से उम्मीदवार चयन में उनकी राय ली जाएगी। प्रदेश की राजनीति को दिग्विजय सिंह से बेहतर कोई समझने वाला नहीं है। इसलिए पार्टी ने उनकी रायशुमारी भी ली जाएगी। यही कारण है कि मुख्यमंत्री कमलनाथ दिग्विजय सिंह की राय लेने के साथ ही सिंधिया को भी हर फैसले में शामिल करते हैं।
दरअसल, हाल ही में कांग्रेस विधायक ने नाराज होकर पार्टी से इस्तीफा देने की धमकी दी थी। जिससे पार्टी में हड़कंप मच गया था। लेकिन स्थिति को सिंधिया खेमे के मंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर ने सक्रियता से नाराज विधायक की मुलाकात मुख्यमंत्री कमलनाथ से करवाई और मामले को हल करने मे हर संभव प्रयास किया। प्रदेश की ऐसी सीटों से जहां कई सालों से कांग्रेस नहीं जाती वहां से बड़े नेताओ को चुनाव लड़ने की सलाह मुख्यमंत्री कमलनाथ ने दी तो उनकी हां में हां सिंधिया ने भी मिला दी थी। सीएम की सलाह के बाद दिग्विजय सिंह ने तत्काल भोपाल से चुनाव लड़ने की चुनौती को स्वीकार कर कांग्रेस के अन्य बड़े नेताओ के सामने इस बात का संकट खड़ा कर दिया कि कहीं उनको भी न किसी अन्य सीट से मैदान में उतार दिया जाएं। इस चुनौती को स्वीकार करने के बाद से दिग्गी राजा की अहमियत प्रदेश में काफी बढ़ गई है ओर यही कारण है कि अब ग्वालियर लोकसभा से कांग्रेस का प्रत्याशी कौन होना चाहिए इसको लेकर उनसे सलाह लेने की बात कही जा रही है।
इन सीटों पर मंथन जारी
प्रदेश के मुख्यमंत्री कमलनाथ एवं राष्ट्रीय महासचिव ज्योतिरादित्य सिंधिया भी अब यह जानते है कि लोकसभा में बेहतर प्रदर्शन करना है तो एकजुट होकर एक-दूसरे की सलाह के बाद ही प्रत्याशियों को फैसला लिया जाए। यही कारण है कि ग्वालियर अंचल में सिंधिया की सलाह काफी अहमियत रखती थी ओर वह जिसको पंसद करते थे उसी को टिकट मिलता था, लेकिन इस बार सिंधिया ने भी अपना पेटर्न बदलते हुए कांग्रेस को जीत दिलाने वाले प्रत्याशियों पर दांव लगाने का निर्णय लिया है और वह भी सभी की सलाह लेने के बाद। इसके पीछे सियासी कारण यह है कि जब सभी की सहमति से प्रत्याशी मैदान में उतरेगा तो उसकी जीत की संभावना इस कारण अधिक रहेगी कि उसके लिए सभी नेताओ से जुड़े कार्यकर्ता चुनावी काम में लग जाते है। सिंधिया के पास भाजपा के पूर्व सांसद अशोक अर्गल भी दिल्ली दरबार पहुंचे थे, लेकिन उन्होंने टिकट की कोई गांरटी देने की बात नहीं कही। सिंधिया ने अर्गल से कहा था कि वह पहले प्रदेश सरकार के मंत्री एवं भिण्ड के लहार से विधायक डॉ.गोविन्द सिंह से बात करेगें उसके बाद ही कोई निर्णय लेकर बताएंगे।
सिर्फ जिताऊ उण्मीदवार ही पात्रता
सिंधिया द्वारा इस तरह की बाते करने के पीछे संकेत यह है कि वह अब सिर्फ ओर सिर्फ जिताऊ प्रत्याशी चाहते है, क्योंकि अगर सिंधिया चाहे तो अंचल की सभी सीटो पर वह अपने हिसाब से प्रत्याशी उतार सकते है। ग्वालियर लोकसभा क्षेत्र से प्रत्याशी के चयन के लिए अब दिग्विजय सिंह के साथ सोमवार को बैठक होगी ओर उनकी राय के बाद ही यह निर्णय लिया जा सकेगा कि ग्वालियर से किसको मैदान में उतारा जाएं। दिग्गी की राय लेने की बात के बाद कई दावेदारो की धडक़ने बढ़ गई है, क्योंकि उनको पता है कि दिग्गी राजा किसका नाम आगे बढ़ाएगे। ग्वालियर लोकसभा से प्रदेश कांग्रेस के उपाध्यक्ष अशोक सिंह, वरिष्ठ कांग्रेस नेता ज्ञानेन्द्र शर्मा, ग्रामीण कांग्रेस के अध्यक्ष मोहन सिंह राठोर सहित कुछ अन्य नेता टिकट को लेकर दावेदारी कर रहे है।