भोपाल।
प्रदेश में कोरोना(corona) के कहर और लॉकडाउन(lockdown) के कारण आर्थिक संकट(Economic Crisis) के बीच राजस्व(Revenue) में गिरावट के कारण शिवराज सिंह चौहान(shivraj singh chouhan) सरकार वित्तीय मदद के लिए अब केंद्र(central) का दरवाज़ा खटखटा रही है। मध्य प्रदेश(madhya pradesh) सरकार ने केंद्र को अनुरोध करते हुए लिखा है कि बजट(budget) में वादा की गई विचलन राशि के बारे में सोचे। सीएम शिवराज ने केंद्र से अनुरोध किया है कि जीएसडीपी(GSDP) का 2% अतिरिक्त उधार के रूप में संसाधनों में गिरावट को कवर करने की अनुमति दी जाये।
दरअसल राज्य जीएसटी(GST) संग्रह जो एमपी के राजस्व का लगभग 37% है। राज्य में आर्थिक गतिविधियों में फ्रीज के कारण लगभग ढह गया है। इसलिए मध्यप्रदेश जैसे आर्थिक रूप से कमजोर राज्यों को कोरोना से लड़ने के लिए काफी मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है। जिसको लेकर शुक्रवार को मुख्यमंत्री कि अधिकारियों के साथ बैठक के बाद लॉकडाउन विस्तार के साथ साथ प्रदेश की आर्थिक गतिविधियों पर भी चर्चा की गयी। प्रदेश में लघु एवं बड़े उद्योग खोलने को लेकर सीएम शिवराज ने विभिन्न जिलों के अधिकारियों से उनकी राय मांगी। जिसके बाद प्रदेश में 3 मई से उद्योग के साथ साथ काम काज शुरू किये जायेंगे। वहीं मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने सख्त निर्देश दिए है कि किसी भी तरह सोशल डिस्टेंसिंग का उल्लंघन नहीं होना चाहिए।
इंदौर के संभागीय आयुक्त आकाश त्रिपाठी ने कहा कि कई उद्योगों को सुरक्षा के नियमों का अनुपालन करने वाले क्षेत्रों में काम करने की अनुमति मिली है। उसी समय पूरी छूट नहीं दी जा सकती है। शराब की दुकानों के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि सरकार स्थिति का आकलन करने के बाद फोन करेगी। हालांकि नीमच और झाबुआ हरे श्रेणी के क्षेत्र हैं लेकिन दोनों प्रशासन ने पड़ोसी क्षेत्रों में कोरोना मामलों के कारण लॉकडाउन का पालन करने का फैसला किया है। नारंगी क्षेत्रों में जिला प्रशासन, नवगठित जिला संकट प्रबंधन समिति के सहयोग से स्थानीय स्थितियों का आकलन कर रहा है। ताकि यह तय किया जा सके कि कुछ क्षेत्रों में प्रतिबंधों को कम करना है या पूर्ण लॉकडाउन के साथ बने रहने दिया जाएगा। रतलाम, मंदसौर, खरगोन, खंडवा, बुरहानपुर, अलीराजपुर, शाजापुर और आगर मालवा के प्रशासन अभी तक तय नहीं कर पाए हैं कि कौन से व्यवसाय खुल सकते हैं अथवा यहां किन चीजों की छूट दी जा सकती है।
वही झाबुआ कलेक्टर प्रबल सिपाहा ने कहा है कि इस क्षेत्र से प्रवासी श्रमिकों का एक बड़ा आंदोलन है और हम कोरोना मामलों वाले क्षेत्रों से घिरे हुए हैं। इसलिए हम लॉक डाउन जारी रखेंगे। आवश्यक सेवाओं को आराम करने के अलावा, भोजन के लिए दुकानें, कुछ निश्चित समय में सब्जियों की अनुमति होगी। वहीं कुछ सरकारी निर्माण गतिविधि की भी अनुमति दी गई है। नीमच कलेक्टर जितेंद्र सिंह ने कहा है कि चूंकि हम मंदसौर और राजस्थान के साथ अपनी सीमाओं को साझा करते हैं। इसलिए हमें लोगों की अनुमति और आवाजाही की अनुमति देने में अतिरिक्त सावधानी बरतनी होगी। हम सप्ताह में 2-3 दिनों के लिए गैर-आवश्यक वस्तुओं की दुकानों की अनुमति देने की योजना बनाते हैं और देखेंगे कि चीजें एक सप्ताह तक कैसे चलती हैं। इसी के साथ प्रशासन ने जिले में 5-8 श्रमिकों को शामिल करने के लिए खनन गतिविधि की अनुमति दी गई है।