लोकसभा में मिली करारी हार के बाद कांग्रेस का पूरा फोकस उपचुनाव, नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों पर बना हुआ है। इन चुनावों को मद्देनजर रखते हुए सरकार आए दिन बड़ी घोषणाएं कर रही है, वही उन वादों को पूरा करने में जुटी जो सत्ता में आने से पहले किए गए थे।इसी कड़ी में अब कमलनाथ सरकार राम वन पथ गमन की तैयारियों में जुट गई है।खबर है कि कांग्रेस सरकार राम वन पथ गमन के लिए बोर्ड बनाने तैयारी में है। ये बोर्ड धर्मस्व विभाग के अधीन काम करेगा।वही कांग्रेस के इस कदम के बाद बीजेपी में खलबली मच गई है।
दरअसल, लोकसभा में प्रदेश से सुपड़ा साफ होने पर कांग्रेस एक बार फिर सॉफ्ट हिंदुत्व की छवि को मजबूत करने में जुट गई है।हालांकि कांग्रेस ने विधानसभा चुनावों के दौरान राम वन पथ गमन बनाने का वादा भी अपने वचन पत्र में किया था।मान्यता है कि भगवान श्रीराम ने वनवास काल में ज्यादातर समय चित्रकूट में गुजारा है। सरकार इस कस्बे को नए रूप में लाने की तैयारी कर रही है। हाल के बजट सत्र में भी राम वन गमन पथ के लिए सरकार ने बजट रखा है। इस बीच राम वन गमन पथ के लिए बनी कांग्रेस की समिति के प्रभारी हरिशंकर शुक्ला ने मीडिया को बताया की कमलनाथ सरकार जल्द ही राम वन पथ गमन बोर्ड बनाने जा रही है।
खबर है कि सरकार 22 करोड़ रुपये खर्च कर ‘श्रीराम वन गमन पथ’ कॉरिडोर भी बनाएगी। इसमें श्राइन बोर्ड कॉम्प्लेक्स, धर्मशालाएं, यात्रियों के लिए पैदल ट्रैक, साइकिल ट्रैक सहित भीड़ नियंत्रण के उपाय किए जाएंगे।श्रीराम वन गमन पथ कॉरिडोर में चित्रकूट, पन्ना, बधवारा (कटनी), रामघाट (जबलपुर), राम मंदिर तालाब, रामनगर मंडला, शहडोल, डिंडौरी और अमरकंटक को शामिल किया गया है। इन सभी शहरों में एक ही तरह के विकास कार्य किए जाएंगे।पुरानी शहरी व्यवस्था, हवेली भी दिखेंगी रामपथ में पुरानी शहरी व्यवस्था का नमूना देखने को मिलेगा। हवेलियों का आर्किटेक्चर भी दिखाई देगा। यात्री निवास, बांस के हट, लाइट एंड साउंड-शो भी रहेगा।
गौरतलब है कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने 2007 में राम पथ गमन मार्ग विकसित करने की घोषणा की थी, लेकिन यह घोषणा ठंडे बस्ते में चली गई थी। यहां तक कि इस घोषणा के बाद शिवराज सरकार ने समिति भी बनाई थी, लेकिन उसकी रिपोर्ट पर कोई काम नहीं हुआ। बीते साल कांग्रेस ने इसे चुनावी मुद्दा बनाया है और 15 सालों का वनवास काट सत्ता हासिल करने में कामयाब हो गई।लोकसभा चुनाव में करारी हार के बाद आगामी चुनावों को देखते हुए कांग्रेस एक बार फिर इस मुद्दे को भुनाने में जुट गई है।