भोपाल| कमलनाथ को मुख्यमंत्री घोषित किये जाने के बाद ज्योतिरादित्य सिंधिया को लेकर शुरू हुई प्रेसर पॉलिटिक्स का अंत हो गया है| कांग्रेस चुनाव अभियान समिति के अध्यक्ष और सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया को डिप्टी सीएम या प्रदेश अध्यक्ष बनाये जाने की मांग को लेकर दिल्ली में डेरा डालने वाले विधायक सिंधिया की समझाइश के बाद मान गए हैं| सिंधिया ने सभी विधायकों को भोपाल जाकर शपथ समारोह में शामिल होने के आदेश दिए है, विधायक अपनी जिद पर अड़े थे और रविवार दोपहर 12 बजे तक उन्होंने अपनी मांग पर फैसला करने की बात कही तो ऐसा नहीं होने पर हाईकमान से मुलाकात कर अपनी मांग रखने की बात कही थी| जिसके बाद सिंधिया ने इन नेताओं को घर में बुलाकर समझाइश दी और सभी विधायक मान गए|
दरअसल, शनिवार को ज्योतिरादित्य सिंधिया को उपमुख्यमंत्री मुख्यमंत्री या प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने की मांग को लेकर उनके समर्थक विधायकों ने दिल्ली स्थित निवास पर डेरा डाल दिया था। डेढ़ दर्जन से ज्यादा विधायक ये मांग कर रहे थे कि सिंधिया को डिप्टी सीएम बनाने के साथ-साथ प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जाए। ऐसा ना होने की स्थिति में इन सभी विधायकों ने धमकी दी है कि वे राज्यपाल आनंदीबेन को अपने हस्ताक्षर युक्त कागज फैक्स करेंगे जिसमें कमलनाथ सरकार को समर्थन न देने की बात होगी। विधायकों की इस धमकी के बाद राजनीति में हड़कंप मच गया| क्यूंकि कांग्रेस के पास निर्दलीयों और अन्य के समर्थन से बहुमत मिला है, ऐसी स्तिथि में कांग्रेस संकट में आ सकती थी|
विधायकों ने रविवार दोपहर बारह बजे तक का अल्टीमेटम दिया था, जिसके बाद सिंधिया ने सभी विधायकों से मुलाक़ात कर वापस लौटने के आदेश दिए हैं| सिंधिया समर्थक रामनिवास रावत, प्रद्युम्न सिंह तोमर, मुन्नालाल गोयल, इमरती देवी, बनवारी लाल शर्मा, ओपीएस भदौरिया, रणवीर जाटव, राजेंद्र भारती, श्रीकांत चतुर्वेदी, राकेश मावई, रमेश दुबे जैसे नेताओं ने सिंधिया के दिल्ली स्थित निवास 27 सफदरगंज रोड के सामने धरना दिया था | इससे पहले मुख्यमंत्री की दौड़ के लिए भी ज्योतिरादित्य और कमलनाथ का नाम साथ-साथ चल रहा था। बताया जा रहा है कि पहले सिंधिया को उपमुख्यमंत्री के पद की पेशकश की गई लेकिन उन्होंने ठुकरा दिया। यहां कमलनाथ बाजी मार ले गए। ऐसे में उनके समर्थक अब, उन्हें मध्यप्रदेश के कांग्रेस अध्यक्ष के तौर पर देखना चाहते हैं।