जबलपुर| मध्यप्रदेश में किसानों का कर्ज़ माफ करने के वादे के बाद सत्ता में आई कांग्रेस सरकार को कर्ज़माफी के लिए बाजार से अतिरिक्त पैसा जुटाने में मुश्किल आ सकती है| राज्य के सकल घरेलू उत्पाद के मुकाबले, सकल मौद्रिक घाटा 3.3 फीसदी के आसपास है जो आरबीआई की तय सीमा से ज्यादा है| ऐसे में जब आरबीआई, सरकार को उसके बजट से 3 फीसदी से ज्यादा कर्ज लेने की अनुमति नहीं देगा तो कर्ज़माफी की राह आसान नहीं होगी| अर्थशास्त्री प्रदेश के मौजूदा वित्तीय हाल पर चिंता जता रहे हैं जबकि वित्तमंत्री तरुण भनोत का दावा है कि कर्ज़माफी हर हाल में होकर रहेगी| मध्यप्रदेश सरकार को किसानों की कर्जमाफी के लिए करीब 50 से 55 हज़ार करोड़ रुपयों की ज़रुरत है लेकिन इसके लिए उसे बाजार से अतिरिक्त पैसा जुटाने में मुश्किल आ सकती है|
दरअसल, राज्य के सकल घरेलू उत्पाद के मुकाबले उसका सकल मौद्रिक घाटा 3.3 फीसदी के आसपास है| आरबीआई ने राज्यों की वित्तीय सेहत की निगरानी के लिए सभी राज्यों पर एफआरबीएम यानि फिस्कल रिस्पांसिबिलिटी एंड बजट मैनेजमेंट नियम लागू किए हैं जिसके तहत राजकोषीय घाटे की सीमा 3.1 तय की गई है| इन नियमों के तहत राज्य अपने बजट का 3% कर्ज ही बाजार से ले सकते हैं| मध्यप्रदेश का मौद्रिक घाटा इस सीमा से 0.2% ज्यादा है, जबकि प्रदेश के पड़ोसी राज्यों का मौद्रिक घाटा एफआरबीएम की सीमा के अंदर है| अर्थशास्त्री बताते हैं कि आरबीआई विशेष परिस्थितियों में ही 0.5% ज्यादा राशि जुटाने की अनुमति देता है, लेकिन मप्र को इस बार अतरिक्ति कर्ज जुटाने की अनुमति मिलना मुश्किल है जिससे जल्द कर्ज़माफी की राह आसान नहीं लगती|
इधर मध्यप्रदेश के वित्तमंत्री तरुण भनोत सीएम कमलनाथ के नेतृत्व पर भरोसा जताते हुए सिर्फ इतना कह रहे हैं कि उन्हें चुनौतियों से निपटना आता है| वित्त मंत्री के मुताबिक राज्य सरकार आरबीआई से अतिरिक्त कर्ज़ लेने की अनुमति लेकर रहेगी और किसानों की कर्ज़माफी भी जल्द हकीकत साबित होगी| वित्तमंत्री भले फिक्रमंद ना दिखें लेकिन प्रदेश के वित्तीय हालात चिंताजनक हैं| आंकड़ों के मुताबिक वित्तीय वर्ष 2017-18 में मध्यप्रदेश का सकल घरेलू उत्पाद करीब 7 लाख करोड़ था| इस आधार पर वह 21 हजार 210 करोड़ रुपए ही बाजार से कर्ज ले सकती थी| अब तक सरकार 13 हज़ार 300 करोड़ रुपए का कर्ज ले चुकी है जिसके बाद उसे केवल 7 हजार 910 करोड़ रुपए का ही और कर्ज लेने की छूट है| अब जबकि सरकार को किसान कर्जमाफी के लिए 50 से 55 हजार करोड़ रुपयों की जरुरत है तो वो बाजार से अतिरिक्त 0.5% कर्ज जुटाना चाह रही है जिसकी राह आसान नहीं है| ऐसे में वाकई देखना दिलचस्प होगा कि कांग्रेस के संकटमोचक कहे जाने वाले कमलनाथ, अपनी सरकार का वादा निभाने के लिए राजस्व के नए ज़रिए और अतिरिक्त कर्ज़ जुटाने की चुनौती से कैसे निपट पाते हैं।