भोपाल| मध्य प्रदेश समेत तीन राज्यों में विधानसभा चुनाव परिणाम के बाद राजनीतिक पार्टियों को लोकसभा चुनाव की रणनीतियां बदलनी पड़ रही है| भाजपा जहां तीन राज्यों की हार को दोहराना नहीं चाहती है, वहीं कांग्रेस लोकसभा चुनाव से पहले बड़ी जीत से उत्साहित और आत्मविश्वास से भरी है| जो गलतियां विधानसभा चुनाव में हुई है वो अब इस चुनाव में न हो इसके लिए पार्टियों ने अपनी तैयारियां तेज कर दी है और हर मुद्दे पर गंभीरता से मंथन किया जा रहा है| बीजेपी ने लोकसभा चुनाव के लिए दमदार प्रत्याशियों की खोज के साथ ही संगठन को मजबूती देने के प्लान पर काम शुरु कर दिया है|
बीजेपी के आधे सांसदों के टिकट काटना तय है, पार्टी लोक सभा चुनाव में पचास प्रतिशत प्रत्याशियों को बदलने पर विचार कर रही है| इसके चलते पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को भी चुनाव लड़ाने की तैयारी की जा रही है| पहले उन्होंने इसको लेकर इंकार किया था| लेकिन हाल ही में पार्टी हाई कमान द्वारा उन्हें राष्टीय उपाध्यक्ष बनाया है| वहीं केंद्रीय मंत्री नरेंद्र तोमर की भी सीट बदलने की संभावना है| इसके अलावा कांग्रेस के कब्जे वाली सीटों पर भाजपा दमदार प्रत्याशी उतारना चाहते हैं | इसके अलावा भोपाल, सागर, दमोह, होशंगाबाद, झाबुआ, इंदौर, खजुराहो, रीवा, देवास बैतूल, मुरैना से भी प्रत्याशी बदले जाएंगे|
विधायकों को मैदान में उतार सकती है भाजपा
आगामी लोकसभा चुनाव के मद्देनजर पार्टी ने एक नेशनल सर्वे करवाया है। इसमें एमपी के चार विधायकों के नाम सामने आए हैं जिन्हें बीजेपी लोकसभा चुनाव में टिकट दे सकती है। जीत सुनिश्चित करने के लिए पार्टी पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत चार अन्य पूर्व मंत्रियों को मैदान में उतारने का विचार कर रही है। हाल ही के घटना क्रम से इस बात को समझा भी जा सकता है। पूर्व मुख्यमंत्री चौहान को राष्ट्रीय राजनीति में सक्रिय करने के लिए उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बनाया गया है। पार्टी की ओर से इस बात के संकेत मिले हैं कि उन्हें इस बार विदिशा लोकसभा से टिकट दिया जा सकता है। इससे पहले विदिशा सांसद और विदेश मंत्री सुषमा स्वाराज ने लोकभा चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा भी की थी। पार्टी के सामने नया और जीताऊ चेहरा चुनने की चुनौती है इसलिए शिवराज से अच्छा विकल्प उसके पास फिलहाल नहीं है। सर्वे में सामने आया है कि शिवराज को अगर इस सीट पर उतारा गया तो पार्टी की जीत तय है।
वहीं, रीवा के लिए सर्वे में पूर्व मंत्री राजेंद्र शुक्ला का नाम सामने आया है। बताया जा रहा है वर्तमान बीजेपी के सांसद जनार्दन मिश्रा के खिलाफ जनता में आक्रोष और असंतोष की स्थिति है ऐसे में अगर उन्हें दोबारा उतारा गया तो पार्टी को इस सीट पर नुकसान हो सकता है। बीते लोकसभा चुनाव में भी बीजेपी ने उन्हें चुनाव लड़ने के लिए कहा था। लेकिन उन्होंने टिकट लेने से मना कर दिया था और प्रदेश में ही समय देने के लिए कहा था। इस बार फिर सर्वे में शुक्ला का नाम सामने आया है। वहीं, ग्वालियर सीट से पूर्व मंत्री और वर्तमान शिवपुरी विधायक यशोधरा राजे सिंधिया का नाम भी ग्वालियर सीट के लिए सामने आया है। राजे इस सीट से दो बार लोकसभा की सीढ़ियां चढ़ चुकी हैं। राजनीति के जानकारों का कहना है कि लोकसभा चुनाव में इस बार केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के लिए माहौल अच्छा नहीं है। अगर उन्हें दोबार उतारा जाता है तो बीजेपी का गढ़ बन चुकी इस सीट पर संकट के बादल छा सकते हैं। सर्वे के मुताबिक इस बार सिर्फ वसुंधरा राजे ही यहां बीजेपी के लिए संजीवनी साबित हो सकती हैं। यही नहीं, सर्वे में बैतूल की सांसद ज्योति धुर्वे की भी रिपोर्ट चिंताजनक है। सर्वे में उनकी रिपोर्ट संतोषजनक नहीं आई है। इस सीट पर पूर्व मंत्री और हरसूद से वर्तमान विधायक वियज शाह का नाम सामने आया है। इस सीट के लिए बीजेपी के पास ज्यादा विकल्प नहीं हैं क्योंकि यह सीट आरक्षित है। कहा जा रहा है विजयाराघवगढ़ से बीजेपी विधायक संजय पाठक ने भी इस बार लोकसभा चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की है। उन्होंने खजुराहो संसदीय क्षेत्र से चुनाव लड़ने की मंशा जताई है। वर्तमान सांसद नागेंद्र सिंह ने इस बार विधानसभा चुनाव में नागौद से चुनाव लड़ा और वह जीत गए। उनकी सीट अब खाली हो चुकी है। बीजेपी विधायकों के चुनाव लड़ने से कांग्रेस को बड़ी राहत मिल सकती है। क्योंकि अभी बीजेपी के पास 109 विधायक हैं। ऐसे में कांग्रेस लगातार आरोप लगाती आ रही है कि बीजेपी उसके विधायक खरीद सकती है। अगर बीजेपी के विधायक लोकसभा चुनाव में उतरेंगे तो सीटों का अंतर और कम होगा जिससे कांग्रेस को खतरा भी कम रहेगा।