नई दिल्ली, डेस्क रिपोर्ट। लिव-इन रिलेशनशिप (Live-in Relationship) में बलात्कार के एक मामले की सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) ने कहा है कि जहां दो व्यक्ति एक साथ रह रहे हैं वहां ये अपराध (Criminal Offence) नहीं होगा कि खर्च अभियोक्ता द्वारा या दोनों भागीदारों द्वारा वहन किया जाए। यदि ये खर्च महिला पार्टनर द्वारा किया जा रहा है तब भी आपराधिक प्रकरण नहीं माना जाएगा।
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न्यायमूर्ति मुक्ता गुप्ता ने अभियोक्ता द्वारा दायर बलात्कार के एक मामले की सुनवाई करते हुए कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वाला युगल रोजमर्रा के खर्च मिलकर करे या फिर एक साथी करे, ये अपराध नहीं है। बता दें कि याचिका दायर करने वाली महिला की ओर से दायर बलात्कार के मामले में ये भी आरोप लगाया गया था कि उसपर दबाव बनाकर 1,25,000 रूपये खर्च करने को कहा गया, जो आपराधिक मामला बनता है। लेकिन अदालत ने इस मामले में याचिकाकर्ता पुरुष साथी की अग्रिम जमानत मंजूर करते हुए कहा कि लिव-इन रिलेशनशिप में जब दो पार्टनर एक साथ रह रहे हों तो ऐसा जरूरी नहीं है कि एक ही साथी खर्च वहन करेगा। यदि महिला पार्टनर या दोनों मिलकर भी खर्च उठाते हैं तो वो आपराधिक मामला नहीं बनता है।