भोपाल।
अयोध्या में राममंदिर बनने को लेकर सियासत अब भी जारी है। नेताओं के बीच बयानबाजी का दौर तेजी से चल रहा है। एक बार फिर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने एक बार फिर राम मंदिर के निर्माण को लेकर सवाल खड़े किए हैं।इसके साथ ही विश्व हिंदू परिषद और बीजेपी पर हमला बोला है।
दरअसल, दिग्विजय ने ट्वीटर के माध्यम से बीजेपी और विहिप को आड़े हाथों लेते हुए एक के बाद कई ट्वीट किए है।दिग्विजय ने अपने पहले ट्वीट मे लिखा है कि भगवान राम का मंदिर हिंदुओं के धर्माचार्यों द्वारा ही बनाना चाहिये। राजनैतिक संगठनों द्वारा संचालित संगठनों के द्वारा नहीं। भगवान राम सब के हैं उनके जन्म भूमि पर निर्माण की ज़िम्मेदारी रामालय ट्रस्ट को ही देना चाहिये।
वही उन्होंने अगले ट्वीट में कहा है कि रामालय ट्रस्ट में सभी शंकराचार्य और रामानन्दी सम्प्रदाय से जुड़े अखाड़ा परिषद के सदस्य ही हैं और जगदगुरू स्वामी स्वरूपानंद जी सबसे वरिष्ठ होने के नाते उसके अध्यक्ष हैं। रामालय ट्रस्ट के माध्यम से ही रामलला के मंदिर निर्माण होना चाहिये।
तीसरे और अंतिम ट्वीट में दिग्विजय ने कहा है कि रामलला के मंदिर का निर्माण शासकीय कोष से नहीं होना चाहिये विश्व का हर हिंदू भगवान राम को ईश्वर का अवतार मानता है और मंदिर निर्माण में सहयोग करेगा। विहिंप ने मंदिर निर्माण में जो चंदा उगाया वो उसे अपने पास रखें और उसका उपयोग समाज की कुरीतियों को समाप्त करने में ख़र्च करें।
पहले भी उठ चुकी है ये मांग
बता दे कि इससे पहले स्वामी स्वरूपानंद ने मांग की थी कि रामालय ट्रस्ट को मंदिर बनाने दिया जाए। उन्होंने कहा था कि हम हिंदुओं की भावनाओं के अनुसार कौशल्या की गोद में बैठे भगवान राम की प्रतिमा विराजमान करेंगे। शंकराचार्य ने कहा कि मामला बिगड़ रहा है और हम कहना चाहते हैं कि मंदिर निर्माण का जिम्मा हमें दिया जाए। अगर उन्हें यह जिम्मेदारी दी जाती है तो वह सरकार से एक पैसा नहीं लेंगे और जनता के सहयोग से मंदिर बनवाएंगे।
यूजर्स ने किया दिग्गी को ट्रोल
एक बार फिर राम मंदिर पर सवाल खड़े कर दिग्विजय यूजर्स के निशाने पर आ गए है। यूजर्स ने उन्हें ट्रोल करना शुरु कर दिया है।
-शिवकुमार नाम के यूजर ने लिखा है कि चचा, आप मत घबराईए क्योंकि राममंदिर आपका मुद्दा नही है और वैसे भी राम जी काल्पनिक है मन्दिर किसके पैसे से बनेगा किसके से नहीं बनेगा तुम्हें उससे क्या मतलब खामोश रहिए ?
-दूसरे यूजर्स ने लिखा है तेरे से चंदा मांगने कोई नही आएगा ,वैसे भी मेहनत का पैसा चाइये मंदिर के लिये
-अनुराग मिश्रा ने लिखा है कि पूरी कांग्रेस पार्टी ने राममंदिर के मुद्दे पर हमेशा विघ्न डाला।चाहे श्री कपिल सिब्बल न्यायालय मे मामले को लटकाने का प्रयास करते रहे।चाहे रामसेतु के मुद्दे पर यूपीए सरकार द्वारा सर्वोच्च न्यायालय में हलफनामा देकर भगवान राम के अस्तित्व को ही नकारा गया।अब सलाह किस मुंह से दे रहे हो।
-आर कुमार ने लिखा है कि कभी तो आपकी पार्टी बोल रही थी राम एक काल्पनिक नाम है, आपके पार्टी के लोग इसके विरोध करते रहते थे, आज बोल रहे है कि राम एक अवतार है, आगये न आखिर राम की शरण मे, बहुत बहुत बधाई सर् आपको
-एक अन्य ने लिखा है कि श्रीमा जी परन्तु हिन्दू मंदिरोंसे जमा पूंजीसे गिरिजाघर एवं मस्जिदों को अनुदान, राजनेताओं द्वारा चलाए जाने वाले निजी संस्थानों को अनुदान, इसे जरा आप बंद करें तथा हिन्दुओं को कृपया बिना मांगी सलाह देना बंद करें।
भगवान राम का मंदिर हिंदुओं के धर्माचार्यों द्वारा ही बनाना चाहिये। राजनैतिक संगठनों द्वारा संचालित संगठनों के द्वारा नहीं। भगवान राम सब के हैं उनके जन्म भूमि पर निर्माण की ज़िम्मेदारी रामालय ट्रस्ट को ही देना चाहिये। pic.twitter.com/U5Kw9JrAdO
— digvijaya singh (@digvijaya_28) January 5, 2020
रामालय ट्रस्ट में सभी शंकराचार्य और रामानन्दी सम्प्रदाय से जुड़े अखाड़ा परिषद के सदस्य ही हैं और जगदगुरू स्वामी स्वरूपानंद जी सबसे वरिष्ठ होने के नाते उसके अध्यक्ष हैं। रामालय ट्रस्ट के माध्यम से ही रामलला के मंदिर निर्माण होना चाहिये।
— digvijaya singh (@digvijaya_28) January 5, 2020
रामलला के मंदिर का निर्माण शासकीय कोष से नहीं होना चाहिये विश्व का हर हिंदू भगवान राम को ईश्वर का अवतार मानता है और मंदिर निर्माण में सहयोग करेगा। विहिंप ने मंदिर निर्माण में जो चंदा उगाया वो उसे अपने पास रखें और उसका उपयोग समाज की कुरीतियों को समाप्त करने में ख़र्च करें।
— digvijaya singh (@digvijaya_28) January 5, 2020