भोपाल।
मध्यप्रदेश(madhyapradesh) में लगातार बढ़ रहे कोरोना(corona) मामले के बीच एक बार फिर पूर्व मुख्यमंत्री(former chiefminister) और राज्यसभा उम्मीदवार दिग्विजय सिंह(digvijay singh) ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान(cm shivraj singh chouhan) को पत्र लिखा है। अपने लिखे पत्र में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने व्यापम घोटाले(vyapam) के बीच डॉक्टर(doctors) एवं अंतिम वर्ष के छात्रों को संदिग्ध मान परीक्षा से वंचित किए जाने को लेकर कहा है कि ऐसे डॉक्टरों को भी संकटकाल के समय जनता की सेवा करने का मौका दिया जाना चाहिए।
दरअसल बुधवार को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पत्र लिखते हुए पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा कि मध्य प्रदेश के विभिन्न चिकित्सा महाविद्यालयों में वर्ष 2011 बैच के डॉक्टर की डिग्री पूरी हो गई है और कुछ अंतिम वर्ष में अध्ययनरत हैं। वह 2013-14 के दौरान प्रदेश में व्यापमं घोटाले में सामने आए थे। जिसकी जांच हुई तथा इन डॉक्टरों को भी संदिग्ध मानकर या तो इनकी डिग्री रोक दी गई और अंतिम वर्ष की परीक्षा से वंचित कर दिया गया था। पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने कहा है कि सभी डॉक्टर मध्यप्रदेश के मूल निवासी हैं। इनके खिलाफ अभी तक कोई एफआईआर(FIR) दर्ज नहीं हुई है ना ही इनके खिलाफ कोई न्यायालय प्रकरण विचाराधीन है। पूर्व मुख्यमंत्री सिंह ने कहा है कि ऐसे सभी डॉक्टर ने कोरोना महामारी(pandemic) के संकट के समय प्रदेश की जनता को अपनी सेवाएं देने की इच्छा जाहिर की है। उन्होंने कहा कि यह सभी युवा डॉक्टर प्रदेश की जनता को हॉटस्पॉट सहित अन्य स्थानों पर अपनी सेवा निशुल्क प्रदान करना चाहते हैं।
वहीं उन्होंने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से अनुरोध किया है कि प्रदेश में व्याप्त महामारी के इस संकट में डॉक्टर और स्वास्थ्य कर्मियों की कमी को तथा युवा डॉक्टर द्वारा की गई पेशकश को ध्यान में रखते हुए इन युवा डॉक्टर को भी अपनी सेवा देने के मामले पर विचार करना चाहिए। वहीं उन्होंने मुख्यमंत्री चौहान से अनुरोध किया है कि प्रदेश की जनता के हित में कोरोना से निपटने के लिए इन डॉक्टरों की सेवाएं लेने हेतु जल्द से जल्द कोई उचित निर्णय लें।
उज्जैन मजदूरों को 25-25 लाख देने की मांग
वहीं दिग्विजय ने उज्जैन में मजदूरों की मौत मामले में शिवराज सरकार से सभी घायल और मृतक मजदूरों के प्रत्येक परिवार को 25-25 लाख रूपये की सहायता राशि देने की मांग की । वही दिग्विजय ने कहा कि यदि सरकार मजदूरों को जैसलमेर से लेकर वापस आए थे तो क्या इनके घर पहुंचने तक सरकार इनकी जांच भोजन एवं ठहरने की व्यवस्था की जिम्मेदारी नहीं ले सकती थी। उन्होंने कहा कि मजदूर भी इंसान है और इन्हें इस तरह से मरने के लिए नहीं छोड़ देना चाहिए। उन्होंने शिवराज के इस रवैया को दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए उन पर लापरवाही और मजदूरों के प्रति उपेक्षा का आरोप लगाया था। बता दें कि मंगलवार देर रात जैसलमेर से वापस लौटे मजदूर उज्जैन वापस आए थे। जहां वह सड़क किनारे फुटपाथ पर सो रहे थे तभी ट्रक चढ़ने से उनमे से तीन की मौत हो गई।