नरम पड़े पूर्व CM के तेवर, कांग्रेस के ऑफर पर अब ‘गौर’ नहीं करेंगे बाबूलाल

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भोपाल| अपने बयानों से अक्सर पार्टी की मुश्किलें बढ़ाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर के तेवर नरम पड़ गए है| कांग्रेस के ऑफर को लेकर गौर लगातार सुर्ख़ियों में बने हुए थे और बयानबाजी कर रहे थे, लेकिन शुक्रवार रात को लोकसभा प्रभारी स्वतंत्र देव सिंह से मुलाकात के बाद गौर का अंदाज बदल गया है| उन्होंने कांग्रेस की टिकट के लोकसभा चुनाव लड़ने के ऑफर को भी अब ठुकरा दिया है| पहले वह इस पर गंभीरता से विचार करने की बात कर रहे थे| अब उनका कहना है कि हम सब एक ही परिवार के हैं, कांग्रेस का ऑफर एक कान से सुना दूसरे से निकाल दिया, पहले विचार की बात थी अब विचार भी नहीं है| 

कांग्रेस की ओर से आए लोकसभा चुनाव के टिकट के आॅफर पर गौर ने यह कहकर सनसनी फैला दी थी कि वे इस पर गंभीरता से विचार कर रहे हैं। भाजपा में लंबे समय से हासिए पर चल रहे पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल गौर का लोकसभा चुनाव से पहले यह मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा था| बीजेपी में भी गौर के रुख को लेकर मंथन हुआ| जिसके बाद शुक्रवार को दोपहर लंच पर मंत्री जीतू पटवारी के बाद शाम को लोकसभा चुनाव प्रदेश प्रभारी और बीजेपी नेता स्वतंत्र देव उनसे मिलने पहुंचे। गौर से मिलने के बाद उन्होंने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने मीडिया से कहा कि गौर को लोकसभा टिकट देने का फैसला पार्टी संसदीय बोर्ड करेगा। बीजेपी नेता की यह मुलाक़ात ऐसे समय हुई है, जब वह लगातार कांग्रेस नेताओं से मिल रहे थे और कमलनाथ सरकार की तारीफ कर रहे थे| प्रभारी की मुलाकात के बाद गौर की बयानबाजी पर अब ब्रेक लग गया है| वहीं बीजेपी लोकसभा चुनाव के प्रभारी स्वतंत्र देव सिंह के घर आने के सवाल पर गौर बोले कि परिवार है हमारा, प्रेम भाव से आते हैं सब. हम उनके यहां जाते हैं वो हमारे यहां आते हैं, वो हमारे परिवार के सदस्य है| उन्होंने कहा नरेंद्र मोदी भी आते थे, जब वो संगठन मंत्री थे, राजनीति भाव से नही आते, कांग्रेस वाले भी आते हैं| वहीं कांग्रेस के लोकसभा चुनाव लड़ने के ऑफर को लेकर गौर ने कहा कि पहले प्रस्ताव पर विचार था अब विचार भी नहीं है| ऑफर को एक कान से सुनकर दूसरे कान से निकाल दिया है| अब मेरी पार्टी से कोई शिकायत नहीं है, जो थी वह भी नहीं है|

प्रदेश में कमलनाथ के मुख्यमंत्री बनने के दिन ही बाबूलाल गौर को कांग्रेस ने भोपाल से लोकसभा का आॅफर दे दिया था। इसके बाद दिग्विजय सिंह के खास समर्थक डॉ. गोविन्द सिंह उनके घर पहुंचे और उन्हें सम्मानजनक तरीके से कांग्रेस में आने का सुझाव दिया। इसके कुछ दिन पहले आरिफ अकील उनके घर पहुंचे थे। दिग्विजय सिंह अपने बेटे जयवर्द्धन सिंह को आशीर्वाद दिलाने गौर के पास ले गए। चुनाव हारने के बाद अजय सिंह भी गौर साहब के पास राजनीतिक मंत्रणा करने पहुंचे। 18 जनवरी को दिग्विजय सिंह फिर से भोजन करने के बहाने गौर के घर पहुंचे और उन्हें कांग्रेस में आने का औपचारिक आमंत्रण दिया।  पिछले दिनों कांग्रेस नेता और कमलनाथ कैबिनेट के मंत्री जीतू पटवारी ने भी गौर से मुलाक़ात की थी| इसके बाद गौर ने मीडिया से चर्चा में कहा था ऑफर मिला है और वह विचार करेंगे| इस बयान ने बीजेपी में खलबली मचा दी, जिसके बाद प्रदेश अध्यक्ष ने नाम लिए बगैर ही अनुशानात्मक करवाई की चेतावनी देते हुए नसीहत भी दी कि पार्टी से बढ़कर कोई नहीं| इस बीच  बीजेपी के लोकसभा चुनाव प्रदेश प्रभारी स्वतंत्र देव पिछले दिनों उनसे मिलने पहुंचे थे| मुलाक़ात के बाद देव ने कहा बाबूलाल गौर को लोकसभा टिकट देने का फैसला पार्टी संसदीय बोर्ड करेगा| इस मुलाकात के बाद अब गौर का रुख बदल गया है| 

   

कांगे्रस में जाने की चेतावनी पर मिला बहू को टिकट

विधानसभा चुनाव में भाजपा ने गौर का टिकट काटकर उनकी बहू कृष्णा गौर को उनकी परंपरागत सीट गोविंदपुरा से प्रत्याशी बनाया । हालांकि भाजपा ने गोविंदपुरा से किसी अन्य नेता को चुनाव लड़ाने का मन बना लिय��� था, लेकिन ऐनवक्त पर भाजपा को उनकी बहू को टिकट देना पड़ा। इसके पीछे की वजह यह रही कि कृष्णा गौर को कांग्रेस की ओर से टिकट का आॅफर था, यदि भाजपा कृष्णा को टिकट नहीं देती तो फिर वे कांग्रेस के टिकट पर चुनाव मैदान में उतर सकती थीं। 

भाजपा नहीं छोड़ेंगे गौर!

बाबूलाल गौर बेशक अपने बयानों से भाजपा संगठन के लिए परेशानी बढ़ाते हैं, लेकिन वे भाजपा नहीं छोड़ेंगे। कुछ महीने पहले उन्होंने कहा था कि भाजपा ने उन्हें मजदूर से मुख्यमंत्री बनाया। वे भाजपा को नहीं छोड़ेंगे। हालांकि उन्होंने संगठन में हो रही खुद की उपेक्षा को लेकर नाराजगी भी जताई थी। इसके बाद वह लगातार अपने बयानों से सुर्ख़ियों में बने रहते हैं|  


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