भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। आज महात्मा गांधी की 152वीं जयंती (Mahatma Gandhi Jayanti) है। इतने समय बाद भी गांधीजी आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं। दुनियाभर में आज का दिन विश्व अहिंसा दिवस के रूप में मनाया जाता है। इसी के साथ आज देश के दूसरे प्रधानमंत्री और सादगी के पर्याय लालबहादुर शास्त्री (Lal Bahadur Shastri) की भी जयंती है। इस साल हम उनक 118वीं जयंती मना रहे हैं। शास्त्री जी और गांधी जयंती पर देशभर में कई तरह के आयोजन हो रहे हैं।
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गांधी जी हमारी सोच और संस्कृति में इस तरह समाए हैं कि लगभग हर स्थान और परिस्थिति में उन्हें आदर्श की तरह देखा जाता है। शायद यही वजह है कि कई लोग उन्हें ईश्वर की तरह पूजते हैं। इस बात को यथार्थ में परिवर्तित कर दिया है छत्तीसगढ़ के धमतरी जिले के सटियारा गांव के लोगों ने। यहां पर गांधी मंदिर (Gandhi Mandir) बनाया गया है और शायद ये प्रदेश ही नहीं बल्कि देश का इकलौत गांदी मंदिर होगा जहां लोग देवी देवताओं के साथ अहिंसा के पुजारी गांधीजी को भी पूजते हैं। गंगरेल बांध की प्राकृतिक वादियों के पीछे बसे सटियारा गांव में सिर्फ गांधी जी की पूजा ही नहीं होती, बल्कि लोग उनकी विचारधारा पर हरसंभव अमल करने की कोशिश भी करते हैं। उन्हें खादी के वस्त्रों का चढ़ावा चढ़ाया जाता है। इसी के साथ यहां भारत माता की भी पूजा होती है।
धमतरी जिला मुख्यालय से गंगरेल बांध के सड़क मार्ग से करीब 70 किलोमीटर दूर सटियारा गांव में ये अनोखा मंदिर मौजूद है। सटियारा में भारत माता सेवा समिति द्वारा गांधी मंदिर का संचालन किया जाता है। जानकारी के मुताबिक गुरूदेव दुखू ठाकुर महात्मा गांधी के अनन्य भक्त थे और उन्होने ही गांधीजी के विचारों को आगे बढ़ाने के लिए मंदिर की स्थापना की थी। इसी के साथ उन्होने कई लोगों को इस कार्य से जोड़ा और गांधीजी की विचारधारा को निरंतर रखने के लिए प्रयास किए। इस मंदिर में महात्मा गांधी के साथ भारत माता की भी पूजा होती है। मंदिर में सभी पर्वों को हर्षोल्लास से मनाया जाता है और राष्ट्रीय पर्व पर ध्वजारोहण भी किया जाता है।