Ganga Jamna School Damoh Controversy : दमोह के गंगा जमुना स्कूल मामले में स्थानीय पुलिस की कार्रवाई से राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग नाराज है। बाल आयोग का मानना है कि इस मामले में पुलिस को धर्मांतरण और देशद्रोह से संबंधित धाराएं स्कूल प्रशासन के खिलाफ लगानी चाहिए थी जो नहीं लगाई गई हैं । अब इस मामले में आयोग के अध्यक्ष ने मध्य प्रदेश के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखा है।
करीब सप्ताह भर पहले दमोह के गंगा जमना स्कूल में बोर्ड परीक्षा में टॉपर बच्चियों का एक फोटो वायरल होने से प्रदेश के साथ-साथ देश में भी हड़कंप मच गया क्योंकि इस पोस्टर में कई ऐसी बच्चियां जो गैर मुस्लिम थी हिजाब नुमा ड्रेस पहने दिखाई थी। जब इस मामले में मुख्यमंत्री और गृह मंत्री ने कार्रवाई के निर्देश दिए तब जाकर स्कूल संचालक के खिलाफ आईपीसी की धारा 295, 506 और जेजे एक्ट के तहत कार्रवाई की गई।
हालांकि स्कूल में पढ़ने वाली बच्चियों के साफ तौर पर बयान थे कि स्कूल में धार्मिक शिक्षा दी जाती है, इतना ही नहीं, स्कूल प्रबंधकों के द्वारा स्कूल तथा संस्थान के अन्य प्रतिष्ठानों में भारत का नक्शा दिखाया गया था उसमें भी छेड़छाड़ के साथ आरोप साबित हो रहे थे। लेकिन दमोह की पुलिस ने इस मामले में धाराएं दर्ज नहीं की।
राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने इसे लेकर गहरी आपत्ति दर्ज की है। उनका कहना है कि क्योंकि पूरे साक्ष्य मौजूद हैं इसीलिए इस मामले में धर्म स्वतंत्र विधेयक के तहत और देशद्रोह का मामला भी दर्ज होना चाहिए।इसी को लेकर उन्होंने मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशक और मुख्य सचिव को पत्र लिखा है और इस मामले में कार्रवाई करने की मांग की है।
हैरत की बात यह है कि इतने संवेदनशील मामले में जब मुख्यमंत्री खुद कड़ी कार्रवाई के निर्देश दे चुके हैं तो दमोह का जिला प्रशासन न जाने क्यों स्कूल प्रबंधन के पक्ष में शुरुआत से नजर आ रहा है। अब देखना यह है कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष के इस पत्र के बाद राज्य सरकार इस मामले में क्या कार्रवाई करती है।