Mahakumbh 2025: सनातन धर्म से जुड़ा सबसे बड़ा कार्यक्रम और आयोजन कुछ ही दिनों में शुरू होने वाला है। महाकुंभ का यह आयोजन हर 12 साल में एक बार होता है और इसके लिए देश भर के श्रद्धालु वर्षों पहले से तैयारी में जुट जाते हैं। इस बार महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में किया जाएगा, जो की 13 जनवरी से शुरू हो रहा है।
प्रयागराज में लाखों श्रद्धालु गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदी के संगम में पवित्र स्नान करने के लिए इकट्ठे होंगे। श्रद्धालु इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए 12 साल का लंबा इंतजार करते हैं। महाकुंभ का आयोजन भारत के चार प्रमुख स्थानों में आयोजित किया जाता है, जिनमें से नासिक, प्रयागराज, उज्जैन और हरिद्वार शामिल है।
महाकुंभ 2025 (Mahakumbh 2025)
पवित्र नदियों में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप धुल जाते हैं, और पुण्य की प्राप्ति होती है, महाकुंभ के दौरान स्नान दान का महत्व और भी बढ़ जाता है। यही कारण है कि दुनिया भर से श्रद्धालु महाकुंभ में अपने पापों से छुटकारा पाने के लिए और मोक्ष की प्राप्ति के उद्देश्य से पवित्र संगम में डुबकी लगाने आते हैं।
महाकुंभ का सबसे बड़ा स्नान
क्या आप जानते हैं कि महाकुंभ का सबसे बड़ा स्नान किसे माना जाता है, इस महाकुंभ के महा मेले में सबसे विशेष स्नान का दिन मौनी अमावस्या का होता है। इस दिन भारी संख्या में श्रद्धालुओं की भीड़ गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम में स्नान करने के लिए आती है। आईए जानते हैं, इस दिन का शुभ मुहूर्त और महत्व।
कब है मौनी अमावस्या (Mouni Amavasya 2025)
हिंदू पंचांग के अनुसार मौनी अमावस्या साल 2025 में 29 जनवरी, बुधवार के दिन मनाई जाएगी। इस तिथि की शुरुआत 28 जनवरी को शाम 7 बजकर 35 मिनट से शुरू होगी और इसका समापन 29 जनवरी को शाम 6 बजकर 5 मिनट पर होगा। हिंदू धर्म में हर त्योहार और तिथि उदया तिथि के अनुसार ही मनाई जाती है, इसलिए मौनी अमावस्या भी 29 जनवरी 2025, बुधवार को मनाई जाएगी।
मौनी अमावस्या का महत्व
मौनी अमावस्या का महत्व खासतौर पर इस बात से जुड़ा हुआ है, कि इस दिन श्रद्धालु मौन रहकर गंगा, यमुना और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करते हैं, ताकि उनके सारे पाप धुल जाए और उन्हें पुण्य की प्राप्ति हो। इस विशेष दिन पर पवित्र नदियों में स्नान करने से आत्मिक शांति और सुख की प्राप्ति होती है। इस दिन के स्नान का मुहूर्त विशेष रूप से संतान सुख, स्वास्थ और समृद्धि के लिए उत्तम माना गया है, और यह दिन महाकुंभ के आयोजन का एक अहम हिस्सा है।
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