E–Gates रोकेंगे एमपी के अवैध उत्खनन और परिवहन, सरकार का प्लान तैयार, ग्वालियर चंबल सबसे अधिक प्रभावित

मोहन सरकार के AI से लेस E–Gates कहां-कहां लगाए जाते हैं और इन पर बैठने वाले अधिकारी कर्मचारी सरकार का कितना सहयोग करते हैं यह बात निर्धारित करेगी की अवैध उत्खनन पर रोक लगेगी या नहीं।

E–Gates to Stop Illegal mining and Transportation : प्रदेश में अवैध उत्खनन रोकने के लिए मोहन सरकार का AI प्लान तैयार हो रहा है। इससे सरकार न केवल अवैध उत्खनन पर शिकंजा कर सकेगी बल्कि राजस्व में हो रही भारी हानि को भी रोक सकेगी।

मध्य प्रदेश पिछले कई सालों से अवैध उत्खनन की परेशानी झेल रहा है और सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात इस विषय में है वह यह है कि इससे न केवल प्राकृतिक संपदा, सरकार के राजस्व बल्कि कई अधिकारियों की जान को भी नुकसान पहुंचा है। अभी हाल ही में शहडोल में पटवारी की मौत इस बात का ताजा उदाहरण है।

ऐसा रहेगा सरकार का प्लान

अब इन सभी बातों को ध्यान में रखकर मध्य प्रदेश सरकार लगभग 30 करोड रुपए खर्च कर AI के जरिए अवैध उत्खनन पर लगाम लगाने की तैयारी कर रही है। इसको लेकर ऐसा रहेगा सरकार का प्लान।

  • मध्य प्रदेश से सटे उत्तर प्रदेश और राजस्थान बॉर्डर पर बनाए जाएंगे E/E–Gates
  • E–Gates पर लगेंगे सीसीटीवी कैमरा
  • कैमरा में रिकॉर्ड होंगे खनिज परिवहन कर रहे वाहनों के रजिस्ट्रेशन नंबर
  • AI द्वारा जांच की जाएगी की निर्धारित रजिस्ट्रेशन नंबर खनिज परिवहन के लिए वैध है या अवैध है
  • कैमरे चेक करेंगे वाहनों में ओवरलोडिंग, रिपोर्ट भेजेंगे सीधे भोपाल

ग्वालियर चंबल सबसे ज्यादा प्रभावित

बात करें अवैध खनन और अवैध उत्खनन की तो ग्वालियर चंबल क्षेत्र इस परेशानी से सबसे ज्यादा प्रभावित नजर आता है। चाहे बात करें रेत की अवैध उत्खनन परिवहन की, पत्थर के अवैध उत्खनन परिवहन या किसी अन्य चीज़ के अवैध उत्खनन परिवहन की, यह क्षेत्र सभी में नंबर एक पर आता।

बात करते हैं डबरा क्षेत्र की जहां सिंह और पार्वती नदी से बड़े स्तर पर रेत का अवैध उत्खनन जोरों शोरों पर चल रहा है और सबसे अचरज की बात यह है कि इस बात की जानकारी जिले के सभी आला अधिकारियों को है। फर्जी रॉयल्टी काटकर फर्जी तरीके से रेत का अवैध उत्खनन न केवल राजस्व विभाग के खजाने को भारी नुकसान पहुंचा रहा है बल्कि आमजन को भी अपने सपनों का घर बनाने के लिए भारी मात्रा में पैसा चुकाना पड़ता है। डबरा और इसके आसपास रेट की ट्राली की कीमत 10 से 12 हज़ार रुपए की है।

एक घाट की रॉयल्टी देकर कंपनी पूरे क्षेत्र के घाटों से अवैध उत्खनन कर रही है उसे पर बाकायदा रॉयल्टी ले रही है लेकिन इसके बावजूद उत्खनन पूरी तरह अवैध है क्योंकि कंपनी ही अवैध है। सोचने वाली बात यह भी है की इन सब बातों की जानकारी जिला कलेक्टर को होते हुए भी अब तक यहां रेत उत्खनन के लिए ठेका नहीं निकाला गया है।

ओवरलोडिंग पर नहीं लगाई जा रही लगाम 

इसी तरह बिलौआ से ग्वालियर के बीच गिट्टी और डस्ट से भरे ओवरलोड ट्रॉलों को देखा जा सकता है। गौर करने वाली बात यहां भी यह है कि यह ट्रॉली न केवल आरटीओ चेक पोस्ट के सामने से गुजरते हैं बल्कि टोल से भी गुजरते हैं लेकिन बावजूद इसके अधिकारियों द्वारा ओवरलोडिंग पर किसी भी तरह की लगाम नहीं लगाई जाती है। मुरैना, धौलपुर में भी पत्थर, मुरम और रेत का अवैध उत्खनन और परिवहन जोरों शोरों से चल रहा है। प्रशासन द्वारा कार्यवाही न ही इसपर लगाम लगा पा रही है ना ही माफियाओं को रोक पा रही है।

अब मोहन सरकार के AI से लेस E–Gates कहां-कहां लगाए जाते हैं और इन पर बैठने वाले अधिकारी कर्मचारी सरकार का कितना सहयोग करते हैं यह बात निर्धारित करेगी की अवैध उत्खनन पर रोक लगेगी या नहीं।


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Sanjucta Pandit

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मैं संयुक्ता पंडित वर्ष 2022 से MP Breaking में बतौर सीनियर कंटेंट राइटर काम कर रही हूँ। डिप्लोमा इन मास कम्युनिकेशन और बीए की पढ़ाई करने के बाद से ही मुझे पत्रकार बनना था। जिसके लिए मैं लगातार मध्य प्रदेश की ऑनलाइन वेब साइट्स लाइव इंडिया, VIP News Channel, Khabar Bharat में काम किया है। पत्रकारिता लोकतंत्र का अघोषित चौथा स्तंभ माना जाता है। जिसका मुख्य काम है लोगों की बात को सरकार तक पहुंचाना। इसलिए मैं पिछले 5 सालों से इस क्षेत्र में कार्य कर रही हुं।

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