नई दिल्ली| केंद्र सरकार ने सामान्य वर्ग के लोगों को आर्थिक आधार पर शिक्षा और सरकारी नौकरियों में 10% आरक्षण देने का फैसला किया है| आरक्षण की व्यवस्था लागू करने के लिए केंद्र सरकार आज मंगलवार को लोकसभा में संविधान संशोधन बिल पेश करेगी। संसद का सत्र बुधवार को खत्म हो रहा है, इसलिए केंद्र सरकार ने राज्यसभा की कार्यवाही को एक दिन और बढ़ाने का फैसला लिया है। ताकि दोनों सदनों से विधेयक को तत्काल पारित कराया जा सके। पहले माना जा रहा था कि संसद में विपक्ष मोदी सरकार की परेशानी बढ़ा सकता है| लेकिन लोकसभा चुनाव के मद्देनजर किसी भी दल ने खुलकर इसका विरोध न करते हुए समर्थन का ऐलान किया है| बसपा और कांग्रेस ने सवाल भी उठाये और समर्थन भी कर दिया|
बसपा प्रमुख मायावती ने कहा, सवर्ण आरक्षण के प्रस्ताव का उनकी पार्टी समर्थन करेगी। हालांकि, मोदी सरकार यह फैसला एक छलावा है। सवर्ण आरक्षण को कांग्रेस, आप और एनसीपी ने समर्थन देने की बात कही है। आज संसद का आखिरी दिन है। भाजपा और कांग्रेस ने अपने सभी सांसदों को सदन में मौजूद रहने के लिए व्हिप जारी किया है। वहीं कांग्रेस ने आर्थिक रूप से कमजोर, सामान्य वर्ग के लोगों को सरकारी नौकरी और उच्च शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण देने के सरकार के फैसले का समर्थन किया है। पार्टी ने कहा कि वह हमेशा आर्थिक तौर पर गरीब लोगों को आरक्षण की हिमायती रही है इसलिए वह इस विधेयक का समर्थन करेगी।
सवर्णों को आरक्षण पर कांग्रेस के समर्थन देने के ऐलान के बाद विधेयक के राज्यसभा में पारित होने की राह आसान हो गई है। कई दूसरे विपक्षी दल भी चुनाव से ठीक पहले सवर्णो की नाराजगी मोल नहीं लेंगे। ऐसे में यह माना जा रहा है कि नौकरियों और उच्च शिक्षा में सामान्य वर्ग को दस फीसदी आरक्षण देने वाले विधेयक पर संसद मुहर लगा देगी। दोपहर 12 बजे संविधान संशोधन बिल पेश होगा। यह आरक्षण एससी, एसटी और ओबीसी के लिए निर्धारित 50 फीसद कोटे से अलग होगा। इसमें आर्थिक पिछड़ेपन की परिभाषा ओबीसी के समान ही रखी जाएगी। पिछले कुछ महीनों में एससी एसटी आरक्षण को लेकर उठे विवाद और कुछ स्थानों पर अगड़ी जातियों में उग्रता को थामने के लिहाज से भी यह बड़ा फैसला है। इसे लोकसभा चुनाव से पहले मोदी सरकार मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है|