भोपाल। मध्य प्रदेश में एक बार फिर सड़कों का मुद्दा गरमा गया है| अब तक कांग्रेस विपक्ष में रहते हुए शिवराज सिंह चौहान के अमेरिका से अच्छी सड़कों वाले बयान पर सरकार को घेरती आ रही थी| लेकिन अब सत्ता परिवर्तन के बाद विपक्ष की भूमिका में आई भाजपा ने जर्जर सड़कों को लेकर कांग्रेस सरकार की घेराबंदी की है और प्रदेश में फिर 15 साल पुराने हालात होने आशंका जाहिर की है| नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने आरोप लगाए हैं कि प्रदेश में कांग्रेस सरकार ने सड़कों का विकास रोक दिया है। यदि यही हालाते रहे तो सड़कों की हालत 15 साल पहले जैसी हो जाएगी। भार्गव ने कहा कि मध्यप्रदेश में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद पूर्व भाजपा सरकार के कार्यकाल में स्वीकृत सड़कों का टेंडर ना हो पाना कांग्रेस की मानसिकता को दर्शाता है यदि यही स्थिति रही तो आने वाले समय में प्रदेश की सड़कों की हालत 15 साल पहले जैसी होने में देर नहीं लगेगी।
नेता प्रतिपक्ष गोपाल भार्गव ने कहा है कि कांग्रेस द्वारा अब तक सड़कों के लिए टेंडर न हो पाना कांग्रेस की मानसिकता को दर्शाता है | इस वजह से सड़कों का कार्य अवरुद्ध हो गया है। भाजपा के शासन काल में जो कार्य सड़कों के चल रहे थे अब उनकी गति धीरे धीरे बंद होती जा रही है। अब वही स्थिति निर्मित होने जा रही जो पूर्व कांग्रेस सरकार की रही है सड़कों को समय-समय पर बनाने वाले ठेकेदार की सड़कों के निर्माण और मरम्मत का काम नहीं कर पा रहे| नेता प्रतिपक्ष का कहना है कि वर्तमान सरकार स्थिर नहीं है। इसलिए ठेकेदार यह जानने में असमर्थ है कि आने वाले समय में सरकार की क्या स्थिति होगी। इसी पशोपेश में ई टेंडरों के कार्य प्रभावित होना शुरू हो गए हैं। प्रदेश में सड़कों के निर्माण के लिए जो स्वीकृति है उनका कार्य भी बंद पड़ा हुआ है। नेता प्रतिपक्ष का कहना है कि जनता आज फिर कांग्रेस के इस रवैये से परेशान होकर सड़क यात्रा से शारीरिक और मानसिक तनाव झेलने को मजबूर हो रही है| भाजपा शासन के दौरान सड़क पर यात्रियों का सफर आसानी से पूरा हो जाता था इसे अब कष्टप्रद और कठिनाइयों भरा बनाया जा रहा है।
चहेतों को उपकृत करने की तैयारी
नेता प्रतिपक्ष ने कहा सड़कों के निर्माण और मरम्मत को छोड़कर कांग्रेस सरकार अधिकारियों की कुंडली खंगालने में लग गई है। इसके पीछे कांग्रेस की अपने चहेतों को ठेका देने की मंशा नजर आ रही है। कांग्रेस की इस नीति की वजह से शासन और विभाग में बैठे कर्मचारियों और अधिकारियों में भय का वातावरण निर्मित किया जा रहा है।