भोपाल, डेस्क रिपोर्ट। ‘हाथ’ का साथ छोड़ने और BJP का दामन थामने के बाद से ही ज्योतिरादातिय सिंधिया (Jyotiradatiya Scindia) कांग्रेस के निशाने पर बने हुए है। कांग्रेस कभी हाथ में सूटकेस वाले फोटो, कभी BJP के डिजिटल रथों (Digital chariots) से तस्वीर गायब होने को कभी स्टार प्रचारकों की लिस्ट में दसवें नंबर पर स्थान मिलने को लेकर सिंधिया की घेराबंदी कर रही है। इसी बीच संकल्प पत्र से सिंधिया की फोटो गायब होने पर कांग्रेस को बोलने का एक और मौका मिल गया । अब कांग्रेस ने संकल्प पत्र में सिंधिया की फोटो ना होने पर चुटकी ली है और सवाल किया है कि आख़िर सिंधिया का कितना अपमान करेगी भाजपा ?
दरअसल, कांग्रेस (Congress) के मीडिया समन्यवक नरेंद्र सलूजा (Narendra Saluja) ने ट्वीट कर लिखा है कि डिजिटल रथ के बाद ,स्टार प्रचारकों की सूची में 10 नंबरी बनाने के बाद अब भाजपा के संकल्प पत्र (Sankalp Patr)से भी सिंधिया ग़ायब ? किरकिरी से बचने के लिये भाजपा ने भेजी संकल्प पत्र की सॉफ़्ट कॉपी ताकि जिसको उनका फ़ोटो जोड़ना है वो अतिरिक्त पेज लगाकर जोड़ ले लेकिन भाजपा ने फ़ोटो शामिल नहीं किया।
वही अगले ट्वीट में सलूजा ने शिव-ज्योति एक्सप्रेस पर तंज कसते हुए लिखा है कि आख़िर सिंधिया का कितना अपमान करेगी भाजपा ? जो भाजपा कहती थी सिंधिया हमारी पार्टी का मुख्य चेहरा , कांग्रेस की सरकार सिंधिया के कारण बनी , उस भाजपा ने ही सिंधिया को हर जगह से ग़ायब किया। शिव- ज्योति एक्सप्रेस पता नहीं कहाँ पंचर पड़ी है ?
हैरानी की बात तो ये है कि उपचुनाव (By-election) वाली कुल 28 सीटों में 16 ग्वालियर-चंबल संभाग से हैं, जिन पर सिंधिया का खासा प्रभाव है। यही कारण है कि 15 सालों के वनवास के बाद साल 2018 के विधानसभा चुनाव में ये सारी सीटें कांग्रेस ने जीती थीं और प्रदेश में कमलनाथ की सरकार की सरकार बनी, लेकिन बीजेपी में जाने के बाद परिस्थितियां कुछ बदली बदली नजर आ रही है।
आपको बता दे कि जब सिंधिया कांग्रेस मे थे तो उन्हें महाराज, श्रीमंत जैसे शब्दों से नवाजा जाता था, ग्वालियर-चंबल से लेकर मध्यप्रदेश में जब भी कांग्रेस का पोस्टर लगाया जाता सिंधिया की फोटो पहले लगाई जाती है, किसी दौर में सिंधिया कांग्रेस के पोस्टर ब्वाॅय हुआ करते थे और स्टार प्रचारकों में भी उनका नाम ऊपरी पायदान पर होता था, लेकिन कांग्रेस में राजशाही रुतबा रखने वाले सिंधिया के बीजेपी में जाने के बाद से ही कभी पोस्टर तो कभी रथों से दरकिनार किए जाने का सवाल सियासी गलियारों में चर्चा का विषय बना हुआ है और कई सवाल खड़े हो रहे है। क्या सिंधिया के बगावत के बाद पनपे के विरोध को देखते हुए पार्टी ने ये फैसला किया है, क्या 2018 की तरह बीजेपी शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chauhan) के चेहरे पर ही चुनाव लड़ना चाहती है या इस सारे घटनाक्रम के पीछे संगठन और पार्टी का कोई और मकसद है…?
https://twitter.com/NarendraSaluja/status/1320982183142567936
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