जीतू पटवारी ने अधिकारियों को लेकर उठाए सवाल, कहा ‘मध्य प्रदेश में एक समानांतर सत्ता काम कर रही है’

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने सवाल किया है कि प्रदेश में अधिकारियों द्वारा किए जा रहे दुर्व्यवहार की घटनाओं पर मुख्यमंत्री जी के स्तर पर कार्रवाई होने के बावजूद वो रुक नहीं रही हैं, बल्कि पहले की तुलना में और अधिक आपत्तिजनक रूप में सामने आ रही हैं। उन्होने पूछा कि मुख्यमंत्री जी की 'सख्त' कार्रवाई और चेतावनियों का क्या असर है?

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Jitu Patwari raised questions about officials : कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने बेलगाम होते सरकारी अधिकारियों पर सवाल उठाए हैं। उन्होने शाजापुर, बांधवगढ़ और देवास की घटनाओं का हवाला देते हुए कहा कि सीएम मोहन यादव के हस्तक्षेप के बावजूद इस तरह की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं। उन्होने कहा है कि लोकतंत्र में ऐसी घटनाएं तभी होती हैं जब व्यवस्था से विश्वास उठ जाता है या सरोकार संदिग्ध हो जाते हैं।

जीतू पटवारी ने उठाए सवाल

जीतू पटवारी ने एक्स पर लिखा है कि “शाजापुर में ड्राइवर से ‘औकात’ पूछने वाले कलेक्टर! देवास में किसानों से अभद्रता करने वाली तहसीलदार! बांधवगढ़ में युवकों को लाठी से मारने वाले एसडीएम! हाल ही में हुई ये तीनों घटनाएं इस बात का प्रमाण देने के लिए तो पर्याप्त है ही कि मध्य प्रदेश में एक समानांतर सत्ता काम कर रही है! सत्ता का यह साकेत विधायकों, मंत्रियों और मुख्यमंत्री से भी बहुत अलग और ऊपर है! इतना ज्यादा कि उसे नियंत्रित करना अब सरकार के बस के बाहर है! लोकतांत्रिक व्यवस्था में इस तरह की स्थिति तभी पैदा होती है, जब व्यवस्था से विश्वास उठ जाता है या फिर व्यवस्थापकों की शक्ति, समझ या सरोकार ‘संदिग्ध’ हो जाते हैं! चिंता इस बात की ज्यादा है कि मुख्यमंत्री जी के स्तर पर कार्रवाई होने के बावजूद घटनाएं रुक नहीं रही हैं! बल्कि पहले की तुलना में और अधिक आपत्तिजनक रूप में सामने आ रही हैं!”

पूछा ‘सीएम की सख्त कार्रवाई का क्या असर हुआ’ 

उन्होने कहा कि “चुनौती का नया दायरा यह है कि तीनों ही मामलों में पीड़ित, प्रताड़ित और प्रभावित व्यक्ति समाज के उस वंचित और उपेक्षित तबके का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसकी आमतौर पर सुनवाई ही नहीं होती! सच और न्याय के लिए संघर्ष ही यदि सच्चाई है, तो फिर सरकार की उपस्थिति/उपयोगिता का क्या औचित्य है? मुख्यमंत्री जी की ‘सख्त’ कार्रवाई और चेतावनियों का क्या असर है? हम कब उम्मीद कर पाएंगे कि अधिकारों की आवाज को दबाया नहीं जाएगा? शोषितों की त्वरित सुनवाई कब होगी? विधि सम्मत व्यवस्था कब लागू की जाएगी? मप्र में लोकतांत्रिक ढंग से व्यवस्था में आस्था कब बढ़ेगी?”


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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