मध्य प्रदेश सरकार के ‘सुशासन प्रशिक्षण’ पर जीतू पटवारी का तंज, कहा ‘हो सकता है “रामराज” की कल्पना भी पीछे छूट जाए’

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि ‘प्रबंध संस्थानों की कागजी कल्पनाओं को केंद्र सरकार तक ही सीमित रहने दें, तो बेहतर होगा! यदि जनता सुखी होगी, तो सुशासन का संकल्प भी स्वयं ही सिद्ध हो जाएगा! तब ऐसे अनेक संस्थान आपके द्वारा लाए गए परिवर्तन को ही अपने पाठ्यक्रम में शामिल कर लेंगे!’

Jitu Patwari

Jitu Patwari took a dig at the good governance training : मध्य प्रदेश सरकार ने अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान में सुशासन प्रशिक्षण वर्ग की दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया था, जिसमें सुशासन के साथ नई टेक्नोलॉजी के उपयोग पर केंद्रित अलग-अलग सत्र रखे गए। इसे लेकर कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने तंज कसा है।

सुशासन प्रशिक्षण पर जीतू पटवारी ने किया कटाक्ष

जीतू पटवारी ने एक्स पर लिखा है कि ‘सुशासन! विद्वान वक्ता! नीति विश्लेषण! सुशासन के संकल्प! सुशासन प्रशिक्षण वर्ग! अनुभवियों का मार्गदर्शन! नई टेक्नोलॉजी का उपयोग! डॉ. मोहन यादव जी, मुझे विश्वास है आपका प्रशिक्षण प्राप्त मंत्रिमंडल अब तंत्र के सुधार में ‘क्रांतिकारी’ बदलाव ले आएगा! हो सकता है बहुत जल्दी “रामराज” की कल्पना भी पीछे छूट जाए! मैं यह भी मानता हूं कि इस ‘ऐतिहासिक उपलब्धि’ की व्याख्या करते हुए आपने जितने भारी-भरकम शब्द प्रयोग किए हैं, वे भी शासन व प्रशासन की कार्यप्रणाली में तत्काल चरितार्थ हो जाएंगे! मुख्यमंत्री जी, प्रबंध संस्थानों की कागजी कल्पनाओं को केंद्र सरकार तक ही सीमित रहने दें, तो बेहतर होगा! यदि जनता सुखी होगी, तो सुशासन का संकल्प भी स्वयं ही सिद्ध हो जाएगा! तब ऐसे अनेक संस्थान आपके द्वारा लाए गए परिवर्तन को ही अपने पाठ्यक्रम में शामिल कर लेंगे! मेरा अनुरोध है, पहले जमीन पर आइए! जन के मन की सुनिए! उन्हें राहत दीजिए! उनका दुख दूर कीजिए! लेकिन, भगवान के लिए ऐसा ‘रंगकर्म’ तो बिल्कुल मत कीजिए!’

सीएम मोहन यादव को दी सलाह

बता दें कि मध्य प्रदेश सरकार मंत्री परिषद के सदस्यों के लिए दो दिवसीय सुशासन प्रशिक्षण का आयोजन किया गया था। इसमें सीएम मोहन यादव, विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर सहित सभी मंत्रिगण शामिल हुए। इसे लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि जनता के बीच हमारी गवर्नेंस की अलग छाप दिखाई देनी चाहिए, इसके लिए इस प्रशिक्षण में विचार विमर्श हुआ। इसे लेकर जीतू पटवारी ने कहा है कि बहुत संभव है कि इस प्रशिक्षण के बाद तंत्र में क्रांतिकारी बदवाल आ जाए और रामराज की कल्पना भी पीछे छूट जाए। लेकिन सरकार अगर कागज़ी कल्पनाओं की बजाय जमीनी कार्य करे तो जनता के हित में बेहतर होगा।


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श्रुति कुशवाहा

श्रुति कुशवाहा

2001 में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविद्यालय भोपाल से पत्रकारिता में स्नातकोत्तर (M.J, Masters of Journalism)। 2001 से 2013 तक ईटीवी हैदराबाद, सहारा न्यूज दिल्ली-भोपाल, लाइव इंडिया मुंबई में कार्य अनुभव। साहित्य पठन-पाठन में विशेष रूचि।

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