भोपाल। भोपाल- इंदौर मेट्रो प्रोजेक्ट को होल्ड करने और मोनो रेल को लाने की खबर को मुख्यमंत्री कमलनाथ ने खारिज कर दिया है। कांग्रेस की ओर से इस संबंध में एक बयान जारी किया गया है। इस बयान में कहा गया है कि मेट्रो प्रोजेक्ट की लागत ज़्यादा होने से उसे होल्ड किये जाने की ख़बर पूरी तरह से निराधार है। कमलनाथ जी पहले ही स्पष्ट कर चुके है कि हम मेट्रो को ज़मीनी हक़ीक़त में लाने की दिशा में हरसंभव कार्य करेंगे। इससे पहले कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया जा रहा था कि कमलनाथ सरकार मोट्रो प्रोजेक्ट की लागत ज्यादा होने से उसे रोक रही है। और उसकी जगह मोनो रेल लाने पर विचार कर रही है।
जारी बयान में कहा गया है कि पूर्व की शिवराज सरकार पिछले 11 वर्ष से मेट्रो के नाम पर सिर्फ़ गुमराह करती आयी है। चुनावी फ़ायदे के लिये मेट्रो के नाम का सपना हर चुनाव के पूर्व दिखाया जाता रहा है।जो कि आज तक सपना ही है, हक़ीक़त नहीं बन पाया है। लेकिन कांग्रेस सरकार इसे ज़मीनी हक़ीक़त बनाने की दिशा में हरसंभव कार्य करेगी।
गौरतलब है कि इससे पहले खबर आई थी कि भोपाल से इंदौर चलने वाली मेट्रो के प्रोजेक्ट् पर कमलनाथ सरकार रोक लगा सकती है। मोनो रेल के प्रोजेक्ट पर विचार कर रहे हैं क्योंकि मेट्रो पर ज्यादा खर्च आ सकता है। मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि सरकार ने मेट्रो प्रोजेक्ट पर रोक लगा दी है और मोनो रेल प्रोजेक्ट के लिए अफसरों को प्रजेंटेशन तैयार करने के लिए कहा है। अधिकारी मोनो रेल प्रोजेक्ट के लिए अब सीएम के सामने पीपीटी पेश करेंगे। पूर्व सरकार मेट्रो प्रोजेक्ट पर लगभग 75 करोड़ खर्च कर चुकी है। नई सरकार के सामने बजट में कटौति कर विकासकार्यों को करने की चुनौती है।
उल्लेखनीय है कि बीते साल के अंतिम दिनों में मुख्यमंत्री कमलनाथ ने छिंदवाड़ा में कहा था कि मेट्रो की लागत ज्यादा आती है और जगह भी ज्यादा लगती है। इसकी तुलना में मोनो रेल में लागत भी कम और इसे मेट्रो की तुलना में आधी जगह में ही चलाया जा सकता है। इसलिए वे इंदौर भोपाल में मोनो रेल के बारे में विचार कर रहे हैं। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता जाफर का कहना है कि सरकार ने अभी मेट्रो प्रोजेक्ट को बंद नहीं किया है। मोनो रेल पर भी विचार किया जा रहा है। जो काम अच्छा और कम लागत में होगा उसे किया जाएगा। अगले महीने तक सबकुछ साफ हो जाएगा।
10 साल से कागजों पर दौड़ रही मेट्रो पर 75 करोड़ खर्च हो चुके हैं। अब प्रोजेक्ट पर पुनर्विचार हो रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक, मेट्रो चलेगी या मोनो, कब चलेगी? इन प्रश्नों का जब तक पूरी तरह जवाब न मिल जाए तब तक शहर के ट्रैफिक की मौजूदा दिक्कतों को दूर करने के लिए फ्लायओवर, ग्रेड सेपरेटर और सब वे निर्माण पर भी दोबारा विचार हो सकता है। भोपाल में महापौर आलोक शर्मा ने कहा कि अगर शहर की यातायात व्यवस्था सरकार को सुधारनी है तो सरकार भोपाल में चार-पांच फ्लाईओवर बनवा दे।