जबलपुर। हाई कोर्ट से कमलनाथ सरकार को बड़ा झटका लगा है| लोकसभा चुनाव की आचार संहिता से ठीक पहले प्रदेश में लागू किये गए 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण पर हाई कोर्ट ने रोक लगा दी है| तीन मेडिकल छात्राओं ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी| कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर जवाब माँगा है|
सामान्य वर्ग की तीन छात्राओं की याचिका पर सुनवाई करते हुए जबलपुर हाईकोर्ट ने मेडिकल एजुकेशन में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण दिए जाने पर रोक लगा दी है| बता दें कि राज्य सरकार ने बीती 8 मार्च को एक अध्यादेश जारी करते हुए ओबीसी आरक्षण 14 फीसदी से बढ़ाकर 27 फीसदी कर दिया था| बढ़े हुए ओबीसी आरक्षण का फायदा जब 25 अप्रैल से शुरु होने जा रही नीट प्री पीजी काउंसलिंग के ज़रिए मेडिकल एजुकेशन में भी दिया जाना था तो अशिता दुबे,ऋचा पाण्डेय और सुमन सिंह नाम की तीन छात्राओं ने जबलपुर हाईकोर्ट की शरण ली थी| छात्राओं की याचिका में कहा गया था कि इंदिरा साहनी मामले पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के मुताबिक आरक्षण की सीमा, 50 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकता| लेकिन ओबीसी आरक्षण बढ़ाए जाने से मध्यप्रदेश में ये सीमा 50 से बढ़कर 63 फीसदी हो गई है| छात्राओं की याचिका में कहा गया था कि अगर आरक्षण की सीमा 63 फीसदी होती है तो ना सिर्फ ये सुप्रीम कोर्ट की गाईड लाईन के खिलाफ होगा बल्कि सामान्य वर्ग के छात्र-छात्राओं के हित भी प्रभावित होंगे| याचिका पर सुनवाई करते हुए जबलपुर हाईकोर्ट ने नीट प्री पीजी काऊंसलिंग में 27 फीसदी ओबीसी आरक्षण दिए जाने पर रोक लगा दी है और इस काऊंसलिंग में ओबीसी रिज़र्वेशन पहले की तरह 14 फीसदी ही रखने के आदेश सुनाया है| हाईकोर्ट ने इस मामले पर राज्य सरकार से जवाब भी मांगा है| हाईकोर्ट ने मेडिकल एजुकेशन विभाग के प्रमुख सचिव और डायरेक्टर मेडिकल एजुकेशन के खिलाफ नोटिस जारी किया है और 2 हफ्तों में उनका जवाब मांगा है|